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अध्याय बारहवां । बहुत सन्मान किया और मिती चैत्र वदी ६ ता० १८ मार्च १९१४ की रात्रिको हीराबाग धर्मशालामें आपके सभापतित्वमें सभा हुई, जिसमें शामलालजी उपदेशकका 'जीवनके कर्तव्य'पर व्याख्यान हुआ। सेठजीन हार तोरा आदिसे सन्मान करके सभा विसर्जन की। इन्दौरमें रायबहादुर सेठ तिलोकचंद कल्याणमलजीकी माताने
तकगंजमें एक नवीन जिन मंदिर निर्मापण इन्दौर में धार्मिक कराया था जिसकी प्रतिष्ठा पं० बालावक्सकार्य। जीके द्वारा चैत्र सुदी ६ से १२ व ता०
३१ मार्चसे ६ अप्रैल तक बड़े समारोहके साथ हुई । सेठ माणिकचंदजीको बुलाया गया पर आप शरीर अस्वस्थ्यताके कारण तथा इन्दौर में आवश्यक काम न होनेके कारण नहीं आए थे। सुपुत्री मगनबाईजीको भेजा था। मालवा प्रान्तिक सभा नमित्तिक अधिवेशन शोलापुरके परोपकारी सेठ हीराचंद नमचंदके सभापतित्त्वमें बड़ी सफलताके साथ हुआ। ३०००के अनुमान भाई पधारे थे । पं० गोपालदासजी भी आये थे । तिलोकचंद हाई स्कूल खुलनेका मुहूर्त भी इन्ही दिनोंमें था पर अचानक स्कूलके अधिष्ठाता पं० अर्जुनलाल सेठी जयपुर निवासी पर आपत्ति आ गई कि उनको संदेह पर सर्कारने गिरफदार कर लिया और नज़रबन्द कर दिया इस कारण वह कार्य तो बन्द रहा । जन संख्या ३००० हो गई थी। मालवा सभाके जनरल फन्डमें ५००) का चंदा हुआ । ११११)के ११ यावज्जीव सभासद हुए । इन्दौरमें उदासीनाश्रम खोलना निश्चय होकर सेठ
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