________________
महती जातिसेवा तृतीय भाग। [७४७ इनमें छोटे दान नहीं गिने गए हैं। उन सबको जोड़ा जाय तो १ लाखसे अधिक रकम हो जायगी। एक विधवा द्वारा उपयोगी कामोंके दानका किया जाना एक बड़ा भारी उदाहरण अन्य विधवा बहनोंके लिये है।
प्रेमचंद पुत्रके वियोगके पीछे १५ वर्षकी चंपाबाई विधवाको आपने नित्य विद्या पढ़ने, शास्त्र स्वाध्याय करने, व्रत उपवासमें लीन रहनेमें उपयुक्त कर दिया और उसकी गोदमें एक सुशील पुत्र रतनचंद बिठा दिया जिससे प्रेमचंदका वंश सजीवित रहे और चंपाबाईको कष्ट न हो।
अब चंपाबाई भी रूपाबार्डके समान दान धर्म में लीन हैं, निरंतर रतनचंदके पढ़ानेमें दत्तचित्त हैं, रतनचन्दका विवाह भी कर दिया है और अपनी सुकीर्तिको विस्तारती हुई चौपाटी बंगलेको सुशोभित कर रही है। माता रूपाबाईकी स्मृतिको क़ायम करनेके लिये अहमदाबाद
बोर्डिगमें ता० २८ फर्वरीको एक स्मृति फंड माता रूपाबाईका कायम हुआ जिसमें छात्रों व सुपरिन्टेन्डेन्टने स्मारक। ७३/-) उसी समय जमा कर लिये ।
“दिगम्बर जैन " के ग्राहकोंको बाईजीके स्मरणार्थ श्रीपालचरित्र भेट किया गया था । श्रीमन्त सेठ मोहनलालजी, भा० दि. जैन महासभाके सहायक
महामंत्री व बुंदेलखंड दि० जैन प्रान्तिक बम्बईमें जैन सभा। सभाके सभापति यात्रा करते हुए बम्बई
पधारे । श्रीमान् सेठ माणिकचंदजीने आपका.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
my
www.jainelibrary.org