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महती जातिसेवा द्वितीय भाग ।
[ ६१३ करनी चाहिये । ( ७ ) स्त्री शिक्षा प्रचारार्थ श्राविकाश्रम कोल्हापुरको समाज आश्रय देवै इस प्रस्तावके समर्थन में सौभाग्यवती गोदूबाई उपाध्येने प्लेटफार्मपर आकर भाषण दिया । ( ८ ) समाके कार्यों में द्रव्यकी सहायता की जावे इसका अनुमोदन सेठ माणिकचंदजीने किया और कहा कि जब तुम सभाको द्रव्य न दोंगे उन्नति नहीं हो सकती । तब सभापति महोदयने ५०१ ) दिये, औरोंने भी दिया। इस वक्त सभामें शाहपुर बेलगांव के धर्मराव आप्पाजी सुबेदारकी बहुत प्रशंसा की गई जिन्होंने बेलगांव बोडिंगके लिये २००००) देनेका बचन दिया था | पांचवे दिन सभा में पोलिटिकल एजन्ट व दीवान साहब रघुनाथ व्यंकाजी सबनिस आदि आए। सभा में धन्यवाद देनेका काम चल रहा था । तब सेठ माणिचंदजीने दीवानमाहबको चार शब्द बोलनेके लिये विनती की । तत्र दीवान साहब ने कहा कि ' कोल्हापुरमें जैनी बहुत हैं पर बहुत सुस्त हैं। अब इस परिषद के अविश्रांत खटपट व सेठ माणिकचंदजीके उदार कृत्य से, इन लोगों का लक्ष्य उन्नतिकी तरफ झुका है । हिंसा न करके प्रत्येक उत्तम काम मन बचन कायसे करो ऐसा अपना जैन धर्म कहता है । यह सर्व धर्मापेक्षा विशेष है। "पृथ्वी के सर्व धर्मों में ऐसा कहनेवाला कि हिंसासे निवृत्त हो, यदि कोई धर्म है तो वह एक जैन धर्म ही है । " इतने में महाराज सर्कारकी सवारी समामें आ पहुंची। सेठ हीराचंद नेमचंदने एक प्रशंसनीय भाषणसे महाराजका स्वागत किया । फिर सेठ माणिकचंदजीने महाराजको पुष्पहारादिसे सन्मानित किया । महाराज विदा हो गए। तब सेठ माणिकचंदजीने
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