________________
अध्याय बारहवां ।
(२) सांगली विद्यार्थीगृहमें १५ छात्र छात्रवृत्ति लेकर सीख
रहे थे ।
(३) सुभेदार विद्यार्थीगृह बेलगांव में २००००) के फंड से जो स्थापित हुआ था । १८ विद्यार्थी थे ।
(४) हुबली बोर्डिंग में १८ छात्र थे । इमारत के लिये ६०००) जमा थे तथा ४०००) की ज़मीन एक गृहस्थने दे रक्खी थी।
७२४ ]
(५) 'जिनविजय' कड़ी में मासिक व साप्ताहिक मराठी " प्रगति आणि जिनविजय " ऐसे दो पत्र जारी थे क श्रीत चौपड़े कीर्तन के साथ उपदेश करते हुए भ्रमण करते थे ।
(६) स्त्रीशिक्षा के लिये छात्रवृत्तियें देकर अध्यापिकाएं तैयार कराई जा रहीं थीं ।
(७) स्तवनिधि क्षेत्र में सड़क, तालाब आदि ठीक कराने में हजारों रुपये खरचे थे ।
सेठ माणिकचंदजी एक दक्षिण प्रान्त में ४ बोर्डिगों के द्वारा जैनियों में शिक्षाका प्रचार होते हुए देखकर बहुत ही हर्षित थे । आप स्तवनिधिसे लौटते हुए सांगली गए। वहांके कामको ठीक होते हुए देखकर आपके चित्तमें वहां इमारत बांधने की आ गई क्योंकि सेठजीको मकान बनवानेका व अच्छे हवादार, रोशनीवाले मकानोंमें छात्रों को रहते हुए देखने का शौक था । आप अपने समान अपने छात्रों को भी समझते थे । जैसे आप योग्य महल में रहते थे. ऐसे ही छात्रोंके लिये भी चाहते थे । आप सेठ
रामचंद नाथाके
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org