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६३० ] अध्याय बारहवां। नियमपोथी बांटीं। पहलीका उल्था शीतलप्रसादनीने श्री गजपंथाजीमें अपनी बीमारीकी हालतमें वीर सं० २४३५ मार्गसीर्ष सुदीमें किया था व नियमपोथी श्रीमती मगनबाईजीकी प्रेरणासे रची थी, ताकि जैनियोंमें नियमोंके ग्रहणका प्रचार हो। इन दोनोंको मुफ्त बांटनेके लिये सेठजीने छपवा लिया था। ताः २७ की रात्रिको दिगम्बर जैनियोंकी खास बैठक हुई इसमें दिगम्बर जैन ग्रेजुएट एसोसियेशन स्थापित होने का प्रस्ताव हुआ । श्वे. ताम्बरी जैनियोंमें ऐसा एक श्वे. जैन ग्रेजुएट एसो० है जिसके द्वारा श्वे० समानका बहुत कल्याण होता है। अपने दिगम्बर समाजकी सेवामें मुख्यतासे दिग० जैन पढ़े हुए ध्यान देवें इसलिये सेठजीके पूर्ण प्रयत्नसे इसका प्रस्ताव हुआ व प्रोफेसर लढे मंत्री नियत हुए । खेद है कि इसकी अबतक कोई अमली कार्रवाई न हुई। इसी समय सेठनीने पंजाबमें बोर्डिगकी आवश्यक्ता प्रगट की। सर्वने पसन्द किया तथा तय हुआ कि एक वर्षका चंदा लाहौरवाले जमाकर बोर्डिंग चलावें, फिर पंजाबके सर्व स्थानोंसे चंदाका खास प्रबन्ध किया जावे । उसी समय सेठ माणिकचंदजीने १ वर्षके लिये २५) मासिक दिया, ऐसा ही २५) मासिक लाला जियालाल खनांची बंगाल बैंकने दिये, यही मैनेजिंग कमेटीके सभापति और कोषाध्यक्ष नियत हुए। उसी समय १४०) मासिकका प्रबन्ध हो गया। मंत्री बाबू रामचंद्र एम० ए० व उपमंत्री बाबू शामचंद बी० ए० बी० एस० सी० मास्टर सेन्ट्रल ट्रेनिंग कालेन नियत हुए।
ता० ३१ दिसम्बरको मेनेजिंग कमेटीकी बैठक हुई जिसमें मुख्य दो नियम रक्खे गए-कि सर्व छात्रोंको धार्मिक शिक्षा लेनी
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