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अध्याय बारहवां हुए। इनको महामंत्रीके पदसे १ वर्षको छुट्टी दी गई, (६) श्वेताम्बर दिगम्बरोंके परस्परके तीर्थ सबंन्धी झगड़ों को तय करनेके लिये यदि श्वेताम्बर जैन कान्फ्रेंस पंच नियत करके भेन दे तो महासभा भी अपनी तरफसे पंच नियत कर देगी। वसंत पंचमीके दिनकी बैठक में प्रस्ताव हुआ कि सेठ माणिकचंद
हीराचंद जे. पी० के अद्भुत कार्यकी कदर -सेठजीको दानवीर जैन करके 'दानवीर जैनकुलभूषण' का कुलभूषणका पद। पद अर्पण किया जावे व मुंशी चम्पतरायने
१४ वर्ष तक जो समाजसेवा की है उसके उपलक्ष्यमें "जैन जातिभूषण" का पद दिया जावे । पंडित गोपालदासने आशीर्वाद सूचक शब्द कह कर नारियल
और निम्नलिखित मानपत्र दोनों परोपकारियों की सेवामें भेट किया। नकल मानपत्र (महासभा)
श्री बीतरागाय नमः। स्थान श्री समेदशिखरजी, मधुवन
पो० पारसनाथ (हजारीबाग) श्री वीर निर्वाण संवत् २४३६. मिती माघ शुक्ला ५. १४ फेब्रुवरी १९१०.
सन्मानपत्र। भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभाकी तरफसे श्रीमान् दानवीर सेठ
माणिकचंद हीराचंद जे० पी० जौहरी बम्बईनिवासीकी श्रीयुत मान्यवर महोदय,
सेवामें अर्पित । ___ आपने इस दिगंबर जैन जाति और पवित्र जैनधर्मकी उन्नति करनेमें जो अपना तन, मन और धन लगाकर असीम परिश्रम उठाया
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