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महती जातिसेवा तृतीय भाग। ६७५ महासभाके जल्से होते हैं-एक प्रस्ताव करता है दूसरा समर्थन करता है इसी तरह यह परिषद भी हुई। प्रस्ताव नं० १ में नियमावली पाप्त हुई । ता० ३ अप्रेलको दानका स्वरूप श्रीमती चंदाबाईने कहा जिससे प्रमुखा चमेलीबाईने २५०) सरस्वती भवन आरा व २५०) महिला परिषदके स्त्रीशिक्षा फंडमें दिये और स्त्रियोंने ६२६॥2॥ भेट किये। ४ अप्रैलको करीब ६० परदेशी वालिकाओंकी परीक्षा लेकर इनाम दिया गया। पुस्तकें व दस्तकारीकी चीजें श्राविकाश्रमकी बनी हुई दी गई। मुजफ्फरनगरकी कन्याशालाको ५०) मगनबाईनीने स्त्रीशिक्षा फंडसे दिये । फिर ८ प्रस्ताव और पास हुए जिनमें मुख्य दो (१) श्रीमती जानकीबाईजी पहले ईडरकी कन्याशाला फिर आराकी शाला में अध्यापिका थी, धर्ममें बहुत दृढ़ व परोपकारिणी थीं, उनकी मृत्यु पर शोक तथा उनके स्मरणमें 'गृहस्थ स्त्री धर्मपर' सर्वोत्तम लेख लिखे उसे ९) ७) व ५) का इनाम दिया जाय, (२) श्रीमती मगनबाई एक मासिक पत्र हिन्दी लिपिमें निकालें । इसी प्रस्तावके अनुसार सेट माणिकचंदनीकी सम्मतिसे अलग पत्र न निकाल २ पेन जैनमित्रमें महिला परिषदके बढ़ाए गए, (३) अहमदावाद श्राविकाश्रमका लाभ सर्व लेवे, (४) स्त्री समाज देशकी बनी चीजें पहने व देशी कारीगरीकी उत्तेजना देवें। इस जल्सेकी नियमित कार्रवाई देखकर और शांततासे सर्व कार्यका होना जानकर स्त्रियोंकी व खास कर मगनबाईजीकी कार्यकुशलता पर सबको आश्चर्य होता था। इसके पहले श्रीमती मगनबाईनी करहलके मेलेमें गई थी वहां ता० २४ मार्च से २९ तक रथोत्सव था। दो दिन स्त्रियोंको उपदेश करनेसे १०
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