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महती जातिसेवा तृताय भाग । [ ६८५ मिले । राजासाहबने १ घंटा वात की व बोर्डिग खोलना जानकर सेठजीको धन्यवाद दिया तथा बोर्डिंगके लिये ज़मीन मुफ्त व और भी मदद देनी कबूल की। फिर सूरत निवासी यहांके सर न्याया धीश मि. मगनलाल आत्माराम काजीसे मिले । इस दिन घूमकर चांदनी चौक में एक मकान पसन्द किया और आगामी आसौजमें बोर्डिग खोलने का निश्चय किया। यहांके हाईस्कूल के हेडमास्टर मि. कान्तीलाल के. नानावटी एम. ए. से मिले । हेडमाष्टर साहबने छात्रों को फ्री दाखल करनेकी इच्छा दर्शाई। यहां सेठ गंगाराम गुलाबचंदने बहुत मदद दी
शाभको चलकर ८ बजे रात्रिको दाहोद आए । ७ जुलाईको सवेरे गाजे बाजेसे अष्टान्हिकाकी पूतन हुई । १० से १२ तक सभा हुई । मूलचंदजीने उन्नति पर भाषण दिया | पाठशाला जो बंद हो गई थी चालू करने, सभा स्थापित करने आदि पर कहा । सेठजीने उपदेश देकर लगभग ४० दशा हूमड़ भाईयों के हस्ताक्षर एक प्रतिज्ञापत्र पर लिये कि हम कन्याकी सगाई १० वर्ष से कम में न करेंगे, औरोंसे कराना स्वीकार किया | यहांसे रात्रिको चलकर सेठजी ता. ८ जुलाई १९१९ को बम्बई आए ।
सेठ माणिकचंदजी जैसे प्रत्येक प्रांत में बोर्डिंग स्थापनमें लीन वैसे ही उनकी एक विद्वान् सत्पुत्रके समान
मगनवाईजी के अस- परम यशस्विनी मगनबाईजी प्रति प्रान्तमें श्राविकाश्रम स्थापित कराना चाहती थीं। मुज़फ्फरनगर में श्रीमती मगनबाई और चंदाबाईजी आराने ( जो प्रसिद्ध बाबू
रसे मुरादाबाद में श्राविकाश्रम |
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