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६८४ ] अध्याय बारहवां । कोषाध्यक्ष रक्खें वाकी सेठ हुकमचन्दनीके पास भेजें । वे अपने, कोषाध्यक्ष और सेठ नेमीचंदनी, ऐसे तीन नामोंसे योग्य स्थानपर जमा करावें । हिसाब प्रतिवर्ष प्रगट करना व कमेटीके दफ्तरमें भेनना निश्चित हुआ । उपमंत्रीको आज्ञा की गई कि एक मासके भीतर शिलक व हिसाब कस्तूरचन्दजीके सुपुर्द किया जाय। बंडी मन्नालालने भी स्वीकार किया।
___ यह सब बातें रात्रि ८ से २ बजे तक तय हुई। फिर ३॥ वजे तक गिरनार तीर्थके एक मकानका झगड़ा सुलझानेमें सेठजी लगे, इतनेमें सेठ हुकमचंदनी तांगेपर बैठ मंदसोर आ इन्दौर रवाना हो आए । सेठनीने दूसरे दिन मंदिरोंके दर्शन कर रात्रिको नवीन मंदिरमें सभा की। १००० उपस्थिति थी। सभाने सेठजीको सभापति नियत किया। मूलचंदजीने — अपनी स्थिति और उन्नतिके उपायों पर अनुमान १० बजे तक भाषण दिया। फिर कुरीति निवारणके लिये अग्रगामी व उद्योगी सेठनीने अपने पहले रात्रिके जागरणकी कुछ परवाह न करके वीसा मड़की पंचायत जोड़ी और इस विषयका लिखित प्रस्ताव करानेकी चेष्टा की कि १० वर्षसे पहले कन्याकी सगाई नहीं करनी । उस समय सफलता न हुई, आगे प्रतिज्ञा करेंगे ऐसा कबूल किया । ता. ४ को सवेरे ही चलकर मंदसोर होते हुए शामको ५ वजे रतलाम आए। रतलाममें रात्रिको दीवानसाहबसे मिलकर बोर्डिग खोलनेकी
बात कही। दीवान साहबने मदद करना रतलाम बोर्डिंगके स्वीकार किया । ता. ५ जुलाईको दोपरह लिये प्रबन्ध । तक मकान तलाश किये । शामको महाराज
सर सज्जनसिंहजी बहादुरजीसे
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