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अध्याय बारहवाँ |
आश्रम के लिये ३२५) का चंदा किया । सदरमें भी स्त्रीसभा की व कन्याओं की परीक्षा लेकर इनाम बांटा । ता० ११ जूनको जालंधर गई। यहां उपदेश होकर २२५) सरस्वती भवन आरा व २४) आश्रमको प्राप्त हुए । कन्या महाविद्यालय देखा । वहां ३०० कन्याएं रहकर पढ़ती हैं । २०००) मासिकका खर्च है । २९ शिक्षिकाएं व शिक्षक हैं । ११ श्रेणियां हैं। ता० १३ जूनको अमृतसर जाकर यहां सिक्खोंका मंदिर देखा । ता० १४ जूनको लाहौर गई, बोर्डिंग देखा व स्त्रियोंको श्राविकाचार समझाया ! ताः १६ को देहरादून आई। यहां धर्मात्मा चमेलीबाईने १००) बम्बई व १००) मुरादाबाद आश्रमको दिये । कुल ३२४) का चन्द्रा हुआ। तीनों बाइयोंके व्याख्यानोंसे धर्मकी जागृति हुई। यहां १० अजैन बाइयोंने पानी छानकर पीने व रात्रिमें भोजन न करने व मद्य मांस त्यागका नियम किया ।
ता. १८ जून को हरिद्वार जाकर कांगड़ी गुरुकुल देखा फिर ता० २० को मुरादाबाद आई। वहां श्राविकाश्रमको देखा व जैनधर्म पर उपदेश किया। ता. २४ जूनको देहली आई | पहाड़ी धीरजशाला देखी व शिक्षाप्रचार, सद्विद्या व रत्नत्रयकी दुर्लभतापर तीनों बाइयोंके उपदेश हुए | दूसरे दिन शहरकी शाला देखी व सभा षट्कर्म व ब्रह्मचर्यपर उपदेश दिया । ता. २६ जूनको प्रयाग आकर बोर्डिगका मुहूर्त करके ता. २ जुलाईको बम्बई आ गई तथा श्रीमती चंदाबाई देहलीसे वृन्दावन रवाना हुई। सेठजीने सर्व हाल प्रवासका जानकर इनके कार्यपर सन्तोष प्रकट किया । श्री शिखरजीकी तेरापंथी कोठीका प्रबन्ध बहुत दिनोंसे..
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