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६४० ] अध्याय बारहवाँ । बाईने १०००) में ली। सेठजीने मंदिर जीर्णोद्धार करनेवाले मिस्त्री जवेरदास व कोठीके सर्व कर्मचारियोंको मुद्रिका, कंठी, शाल दुशाले आदि इनाममें दिये । उपरैली कोठीके टूष्टियोंकी मीटिंग हुई। सभापति बाबू देवकुमारके स्थानमें बाबू गुलाबचंद अनरेरी मजिष्ट्रेट छपरा तथा मंत्री सेठ हरसुखदास हजारीबाग हुए। कोषाध्यक्ष सेठजी ही रहे । सेठ माणिकचंदनीके ध्यान देनेसे ही उपरैली कोठीके द्रव्यकी केवल रक्षा ही नहीं हुई, किन्तु मंदिर धर्मशाला आदि सुधार होकर द्रव्यका सदुपयोग भी हुआ। शिखरनीकी यात्रा भले प्रकार करके सेठ माणिकचंदनी,
शीतलप्रसादजी, मूलचंद किसनदासनी सेठजीका दौरा। कापड़िया व श्रीमती मगनबाईजीके साथ
ईसरी स्टेशनसे चल ता० १९ फर्वरीको गयाजी आए । यहां बुद्ध-गयाका मंदिर देखा । यहां बुद्धकी मूर्ति बैठे आसन दो गज ऊंची है। एक हाथ गोदमें व एक हाथ लटकाए हैं। मंदिरका शिखर १८२ फुट ऊंचा है । इस मंदिरके पीछे पीपल वृक्ष है । कहते हैं यहां बुद्धको ज्ञान हुआ। यहांसे चलकर शेठनी ताः २० को काशी आए । उसी
दिन पाठशालाका वार्षिकोत्सव लाला भगवाकाशी स्याद्वाद पाठ- नदास एम.ए. अग्रवालके सभापतित्व हुआ। शालाकावार्षिकोत्सव १८ विद्यार्थियोंको १०० के करीब इनाम
दिया गया। विद्याप्रेमी माती जमशेदजी नौरोजी ऊनवाला भी आए थे । सभापति साहबने एक विद्वता पूर्ण भाषणमें कहा कि न्याय (तर्क) विद्या सत्य बात निर्णयके लिये
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