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महती जातिसेवा तृतीय भाग। [६६३ भर व गव० ट्रेजरर दिल्ली सभापति व बाबू धन्नूलाल अटार्नी उपसभापति हुए। बहुत विचारके बाद सेठ माणिकचंदजीके प्रस्ताव करने व बाबू धन्नूलाल और अर्जुनलाल बी. ए. के समर्थनसे यह प्रस्ताव हुआ कि
दिगम्बरियोंको पैरवीका कोई समय न दिया जाकर पट्टा रद्द किया गया इससे यह सभा क्षोभ प्रगट करती है तथा पुनः विचारके लिये निवेदन करती है। इसकी नकल तारा द्वारा भारत सर्कारको भेजी गई। फिर सेठ हुकमचंदजीके प्रस्ताव व बा० सुलतानसिंह मेरठके समर्थनसे बड़े लाटको मेमोरियल भेजना निश्चय हुआ। इसकी एक सब कमेटी बनी। तीसरा प्रस्ताव डेप्युटेशन भेजे जानेका हुआ। व तीर्थक्षेत्र कमेटीको पत्रव्यवहारकी सत्ता दी गई। यहांसे ता० २७ को चलकर ता० २९को सेठजी बम्बई आ गए। अहमदाबादसे श्राविकाश्रमका प्रचार करनेके लिये श्रीमती
___ मगनबाई और ललिताबाई ता० २६ अक्टूश्रीमती मगनबाईजी- बरको चलकर अजमेर आए। रात्रिको सभा की यात्रा। करके मिथ्यात्वका त्याग कराया। ता० २८
मीको जैपुर गए। यहां पर कई सभाएं करके स्त्रीशिक्षाका प्रचार किया। ___ नं० १-ता० २९-१०-१० को पाटोदी मंदिरमें " स्त्रियोंका अज्ञान कैसे मिटे" इस विषयपर ।
२-ता० १-११-१०को महावीर स्वामी मंदिर में "ज्ञानकी महिमा" के ऊपर ।
३-ना० २-११-१०को शास्त्र सभाद्वारा नियमादि दिलाए
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