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महती जातिसेवा तृतीय भाग ।
[ ६६५ नेमचंद ने 'दान' पर व्याख्यान दिया, उसी समय ३०००) का फंड बारामती पाठशाला के लिये हुआ । १००००) का पहले था । इसका नाम “ ऐलक पन्नालालजी पाठशाला रक्खा गया। अर्जुनलाल सेठी भी आये थे । समितिके लिये ७००) का व अहमदावाद श्राविकाश्रम के लिये १२५ ) का चंदा हुआ । यहांसे सेठजी नातेपुते गए। वहां मगसर वदी ८ को पाठशालाकी परीक्षा लेकर इनाम बांटा। यहांसे आप दहीगाम आए । २ वर्ष हुए तत्र ब्र० शीतलप्रसादजीके साथ यहां हो गए थे। उस वक्त हूंमड़ ज्ञाति सुधारक कमेटी नियत हुई थी । उसके मंत्री बापूभाई पानाचंदने २ वर्षकी रिपोर्ट सुनाई जिससे मालूम हुआ कि १० वर्षसे नीचे लड़की की सगाई न करना ऐसी प्रतिज्ञा जिन्होंने लीथी उन्होंने अच्छी तरह पाली । जिन्होंने सही नहीं भी की थी उन्होंने पाली । तथा जिन्होंने कन्याविक्रय न करनेकी प्रतिज्ञा ली थी वे भी दृढ़ रहे । सेठजीको इससे बहुत संतोष हुआ । सभामें कितनेक भाईयोंके मुंह से सेठजीने सुना कि जो ५ वर्ष तक ऐसा ही नियम चला तो कन्याविक्रय आपसे आप बंद हो जायगा । इस अवसरपर सेठजीने मराठी में कुरीति निवारण पर भाषण भी कहा। सेठजी मराठी, गुजराती, हिंदी तीनों भाषाएं अच्छी तरह बोल लेते थे ।
नातेपुतेमें इनाम
वांटा |
सेठ नवलचंदजी जब गोमटस्वामी के मस्तकाभिषेक पर मूड़विद्रीकी तरफ गए थे तब आप कार्कल कार्कल में सेट नवल- भी पधारे। वहां पर संस्कृत पाठशाला तो चंदजीका दान | चल रही थी पर परदेशी छात्रोंके लिये बोर्डिङ्गकी बड़ी आवश्यकता थी । तब उस
समय वहां सेठ ओंकारजी कस्तूरचंदजी भी थे । सेठ नवलचंद -
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