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महती जातिसेवा तृतीय भाग । ६४७ आदिमें नहीं हैं ? अवश्य हैं। केवल उदार बुद्धि व परोपकार दृष्टिकी आवश्यक्ता है। जिन सेठ माणिकचंनीदने अनेक बोर्डिंग स्थापित किये तो क्या पंजाबके धनाढ्य मिलकरके भी एक बोर्डिगको भी पक्का नहीं कर सक्ते ? सेठ माणिकचंदनी सदा ही गुणग्राही और गुणवानोंका मान
___ करते रहे हैं। सहारनपुर निवासी बाबू सेठजीका विद्या प्रेम। जुगमन्दिरलाल एम० ए० हैं। यह पहले
अलाहाबादमें थे, जब ही से इंग्रजी 'जैन गनट की सम्पादकी करनी शुरू की। फिर आप बैरिष्टरी आदि कई परीक्षाओंको पाप्त करनेके लिये विलायत गये। वहां करीब चार वर्ष रहे । जब शिखरजी पर बंगले बांधनेकी आपत्ति आई तब सेठजीने आपको विलायत लिखा था। आपने अपने ता० ३ अक्टोबर १९०७ के पत्रमें लिखा कि यह सम्पूर्ण पर्वत पवित्र है । मैंने ४ दफे शिखरजीकी यात्रा की है
और कुल पर्वतकी प्रदक्षिणा दी है। यदि उसके कहीं पास भी शराब मांसका संसर्ग होगा तो यह बड़ी आपत्ति होगी।
कुछ वाक्य यह हैं:
It will be indeed a sad sight that after so many centuries meat and wine may be sold and taken, and perlaps cyen prepared in the near vicinity of Sikharji, it is tragic.........I have myself made this round four times my Pilgrimage to Sikharji..........
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