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महती जातिसेवा तृतीय भाग [६६७ श्री गोमटेशकी पूजासे महा आनन्द लाभ लेकर अपने देश सहारनपुरको रवाना हुए। यहां श्रीमती कंकुबाई व मगनबाईजी पार्वतीबाईके व आरा
. निवासिनी चंदाबाईजीके परिश्रमसे स्त्रियोंमें भी भारतवर्षीय दि० जैन बहुत उपदेश हुआ।ता: ३१ मार्चकी रात्रिको महिला परिषद । महासभाके मंडपमें भारतवर्षीय दिगम्बर
जैन महिला परिषदकी बैठक बड़े ठाठसे हुई। सेठ हीराचंद नेमचंदकी धर्मपत्नी सौ० सखुबाईने अध्यक्षस्थान धारण किया। अनेक प्रकार उपदेश हुए। यहां कन्याशालाकी आवश्यकता बताकर उसके लिये ५००)का चंदा हुआ। सूरत में शा. कीकाभाई किसनदासका पुत्र कीकाभाई
( गुलाबशाह ) अनुमान २० वर्षका व्यापार सेठजीकी पुत्री तारा- कुशल व साधारण सौम्य प्रकृतिका था। उसीके मतीका विवाह साथ सेठजीने अपनी तृतीय पुत्री तारामतीका
शुभ लग्न मिती वैशाख सुदी १० के दिन जैन पद्धति अनुसार कर दिया । इस समय ताराकी उम्र १४ वर्षकी थी। छोटालाल छेलामाई अंकलेश्वर वालेने जैन विधि कराई थी। इस विवाहमें दोनों ओर वेश्या त्य नहीं हुआ । केवल साधारण गीतोंके दो जल्से हुए थे । स्त्रियोंने खोटे गीत बिलकुल नहीं गाए तथा सर्व मिठाई स्वदेशी खांड़की बनी। सेठजीने १०००) रु. के करीव खर्च कर बम्बई प्रसिद्ध चित्रकारसे पापकर्म और उसके फलनर्कके कष्ट इनको दिखानेवाले चित्र तैयार कराकराके विता सहित 'नर्कदःखचित्रादर्श' पुस्तक छपवाली थी। इस अवसर पर सेठजीने
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