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महती जातिसेवा तृतीय भाग। [६५९ इससे वह रद्द हो गया, रुपया ५००००) ४) फी सदी व्याजसे लौटा दिया जावे। इस पत्रको सुनकर सेठजीको आश्चर्य के साथ बड़ा शोक हुआ
और यही खयाल आया कि यह कार्रवाई शोकसागरमें अवश्य श्वेताम्बरियोंके खोस प्रयत्नका फल सेठजी। है । यद्यपि पट्टा दिगम्बरियोंको मिलनेसे
श्वेताम्बर समानके पर्वत सम्बन्धी हकमें किसी प्रकारकी बाधा नहीं थी और इसीलिये पट्टा तय होते वक्त श्वेताम्बरियोंने परवाह नहीं की और दिगम्बरियोंको लेने दिया पर श्वे० भाइयोंको अपनी हानि न होते हुए भी यह बात न रुची
और वे अवश्य इसके रद्द करानेकी चेष्टामें लग गए और अन्तमें वे भारत सर्कार द्वारा कृतकार्य हुए। तब सेठजीने धैर्य प्रकट कर सर्व बड़े २ स्थानों में खबर भिजवाई और कमेटोके ओरसे ता० १९ सितम्बरको भारत सर्कारको तार भेना कि दिगम्बरी लोगोंका पर्वत पर हक श्वेताम्बरियोंसे अधिक है तथा छोटे लाटका फैसला आखरी है अतएव पहला बन्दोबस्त रद्द न किया जाय । ऐसे ही तार कलकत्ता, खुरई, फीरोजपुर, मुजफ्फरनगर, झालरापाटन आदिसे भी गए व बम्बई सभाने भी तार किया था, इस तारका जवाब भारत सर्कारके उपमंत्री बौसन साहबन्ने दिया कि आपकी प्रार्थनाको बंगाल सर्कारके पास कार्रवाई के लिये भेन दिया है। तब दिहलीमें भारत के मुखिया भाइयों की एक सभा करने का निश्चय ता० २६-१०-१० के रोज किया गया इसके लिये सेठनीने सर्व स्थानों में सुचनाएं भेज दीं और आप बम्बईसे अहमदाबाद होते हुए रवाना हुए।
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