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महती जातिसेवा तृतिय भाग। ६३१ होगी व बोर्डिगमें चैत्यालय रक्खा जाय ताकि सर्व छात्र नित्य दर्शन करें । छात्रोंको धार्मिक व्याख्यानोंको देनेका काम लाला प्र. भूलाल और मुरारीलालनीने लिया । सेठजीने शहर में घूमकर कई मकान देखकर बोर्डिंग के लिये छोटे और खोलनेके लिये १ मासका समय दिया गया । यहांसे ता: १ को चलकर अमृतसर आए । लाला उमैदसिंह
मुसद्दीलालने ठहरानेका प्रबन्ध किया था। यहां अमृतसरमें सेठजीका १४ घर दि.जैनियोंके हैं। कई लक्षपति मारप्रयास। वाड़ी हैं जैसे रामलाल, गनपतराय, परन्तु धर्मसे
प्रेम नहीं है। एक जैन मंदिर है, उसमें दि० जैन प्रतिमाएं हैं परन्तु लोग दर्शन नहीं करते । अलग मंदिरके लिये चंदा ४५००) हो चुका है पर बना नहीं है । सेठनीने बहुत प्रेरणा की । ता: २ को गुजराती मित्र मंडल लाइब्रेरीके मेम्बरों और स्थानकवासी जैनियोंने सेठजीके सन्मानार्थ सभा की । धर्मोन्नतिपर प्रो० लट्टे और शीतलप्रसादजीने व्याख्यान दिया। यहां स्थानकवासी जैन पाठशालाको सेठनीने १०) की मदद दी व लाइब्रेरीमें पुस्तके भेजना स्वीकार किया। यहां सेठजीने नानक शाही सुनहरी मंदिर देखा।
ता० ३ जनवरीको दिहली आए पहाड़ी पर लाला दिहलीमें जैन हाई जग्गीमलजीके कमरेपर ठहरे। यहांकी
२ शालाओंका निरीक्षण कर सेठजीने छात्र लकी प्रेरणा। व छात्राओंको मिठाई वितरण की। शामको शहरकी कन्याशाला देखी। ५) का इनाम दिया। ता०
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