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अध्याय दशवां । वृद्धि की। ता० २७ अप्रैलको एक महिला परिषद बड़ी घूमधामसे हुई। अध्यक्षस्थान श्रीमती कंकुबाईने ग्रहण किया था । कई स्त्रियोंके भाषण हुए । ५०० भाषाप्रवेशकी पुस्तकें बांटी गई । स्त्री शिक्षार्थ कुछ चंदा भी हुआ । फल्टनमें एक धनाढय कुटुम्बके भ्राताओंमें जायदाद सम्बन्धी कुछ फूट पड़ी हुई थी। सेठनी और हीराचन्दनीने दो दिन परिश्रम कर इस फूटको मेटकर ऐसा उम्दा फैसला कर दिया जिससे सर्वको समाधानी हुई । जष्टिश आफ धी पीसकी उपाधिको सार्थक किया । फल्टनसे लौटकर सेठजी बम्बई आए ही थे कि सर्व दिगम्बर
जैन संघकी एक सभा ता० ६ मई १९०७ बम्बई में सभा और की सोमवारकी रात्रिको दूसरे भोईवाड़ेके सेठजी सभापति । मंदिरनी में हुई। सेठनीको ही सभापतिका
- आसन ग्रहण कराया गया । पंडित धन्नालालजीने पर्वतराज श्री शिखरजीपर आनेवाले उपसर्गकी बात सविस्तर सुनाई तथा प्रस्ताव किया कि डिप्टी कमिश्नरको तार किया जावे व यहांसे ५ महाशय ता० २५ मईके लिये जावें । मि० मालगावे आदिने पुष्टि की । सर्व सम्मतिसे नीचा लिखा तार भेना गया
“Digambar Jain Community of Bombay protest against granting buiiding leases to Europeans etc. on Parasnath Hill as it will cause extreme dissatisfaction to the entire Jain society. The whole hill being sacred nothing should be done there to hurt the religious feelings of the Jains, as carryiug of flesh, wine and
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