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अध्याय ग्यारहवां ।
बनी जिसमें अध्यक्षा मगनबाईजी हुई । १२ स्त्रियां दाखल हुई. जिनमें ४ को छात्रवृत्ति दी गई ।
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शोलापुर जिले में दूमड़ोंकी वस्ती ग्रामोंमें अधिक है, जहां उनको विद्या प्राप्तिका साधन नहीं है। शेठ सेठजीके अनुकरणसे माणिकचंदजी शोलापुर के धनवानोंको एक शोलापुर में बोर्डिगका बोर्डिग के लिये बार बार प्रेरणा कर रहे थे । विचार | उसका फल यह हुआ कि जैसे पहले प्रसिद्ध नाथारंगजी आकलूजवालोंके घरानेने २५०००) संस्कृत ग्रंथप्रचार व छात्रवृत्ति आदिके लिये निकाले थे वैसे ही उसी कुटुम्बने सठजीकी बातपर ध्यान देकर २५०००) का फंड बोर्डिग के लिये अलग किया । ता० १५. जनवरीको शोलापुर में एक सभा सेठ बालचंद रामचंद के प्रमुखत्व में हुई, इसमें सेठ माणिकचंदजी बाबू शीतलप्रसादजी के साथ आए थे। आनेवाले फाल्गुण मास में “ सेठ नाथारंगजी दिगम्बर जैन बोर्डिङ्ग स्कूल " खोलनेका निश्चय हुआ । फंडके व्याजसे ४० टका संस्कृत विद्या के लिये व ६० टका अंग्रेजी व औद्योगिक शिक्षा में खर्च हो । छात्रोंको धर्मशिक्षा के साथ ये विद्याएं पढ़नी होगीं । गरीबोंको छात्रवृति भी दी जायगी । ६ महाशयोंकी कमेटी में धर्मात्मा परोपकारी सेठ माणिकचंदजी जे० पी० भी नियत किये गए । १३ महाशयोंकी मेनेजिंग कमेटी हुई व नियमावली तय्यार हुई | सेठजीने बोर्डिंग के लिये स्थान पसंद किया व सर्व सामान मंगानेका प्रबन्ध बांध दिया ।
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