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महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [ ५७९.
अनुमोदन करते हुए सेठजीने कहा कि धर्मादेवी इकट्ठी की हुई रकम सत्कार्य में लगाना अपना कर्तव्य है, दूसरे काम में नहीं, इतना ही नहीं, उस पैसेको प्रत्येक गांवके व्यापारी पंचायत द्वारा एकत्र करके सत्कार्य में लगा सकते हैं । बम्बई आदिमें ऐसी व्यवस्था भी चालू है । (७) हुबली में बोर्डिंग स्थापन के लिये एक कमेटी बनी, (८) मैसूर सर्कारने शालाओं में धार्मिक शिक्षा देनेका जो प्रस्ताव किया है उसपर अभिनंदन, (९) कोल्हापुर बोडिंग में अलग जिनमंदिर बांधने की स्वीकारता पर भूपाल अप्पाजी जिरगेको धन्यवाद । श्रीमती कंकुबाईजीकी अध्यक्षता में महिला परिषद हुई जिसमें श्राविकाश्रम कोल्हापुरकी बाइयोंने व श्रीमती मगनबाईजीने भाषण किया । मगनबाईजीने कहा कि "जैसे तुम लोग कभी २ अपने पुरुषों से गहनों के वास्ते हठ करती हो ऐसे ही विद्या सीखनेक लिये हठ करो ।" समामें दो कन्याओंने मगनबाईजीकी स्तुति एक ललितपदमें की वह इस प्रकार है
[ चाल:- "चंद्रकांत राजाची कन्या सुगुण रूप खाणी." }; धन्य ! धन्य ! तूं सुगुणशालिनी मगनबाइ भगिनी ॥ भूषविला स्त्रीसमाज आजी ज्ञानदान करुनी ॥ धू० ॥ इहलोकी स्त्रीपुरुषां मोठे भूषण ज्ञान असे ॥ भगिनिजनां तें प्राप्त हो कसें तुज चिंता विलसे ॥ कलिकालाचा दुस्तर फेरा अज्ञाना तिरी ॥ त्यायोगें ज्ञानांध जाहले समाज एकसरी ॥ भरतजननिच्या शुभ देवानें आंगलप्रभु मिलले ॥ ज्ञानबले आर्यातें त्यांनी बुद्धिवंत केलें ॥ आमुचा बनला जैनसंघ तंब प्रागतीक जगतीं ॥ हिरे माणके तयांत रहने चकाकती पुढतीं ॥
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