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५७४ ] अध्याय ग्यारहवां जैपुरमें पं० अर्जुनलाल सेठी द्वारा स्थापित जैन शिक्षा प्रचारक
समितिका वार्षिक अधिवेशन कार्तिक सुदी जैपुरमें श्री० मगनबाई। १ को था । सुदी २ को बम्बईसे श्रीमती
मगनबाईजी भी जयपुर पधारीं । आपके कई व्याख्यान हुए । इनके असरसे गुमानीजीके मंदिर में पद्मावती कन्याशाला समितिकी तरफसे खोली गई तथा विधवाश्रमके लिये जोर दिया जिसमें १०) मासिक विधवा फंडसे व ५) रु० मासिक स्वयं मदद देना कहा। सेठ माणिकचंदजीको सदासे ही जातिकी बालविवाह आदि
कुरीतियोंके निवारणका खयाल था। दहीगांव दहीगांवमें सेठजीका एक अतिशय क्षेत्र शोलापुरके तालुके माडभ्रमण। सिरसमें दिग्सल स्टेशनसे २२ मील दहीगांव
है। यहां एक वृहत् श्री महावीरस्वामीका दि० जैन मंदिर विशाल, मानस्तंभ और शिखरोंसे दूर २ तक अपनी प्रभा चमका रहा है। इसकी प्रतिष्ठा सं० १९१२में फलटनके बालब्रह्मचारी सेठ हीराचंद अमोलकके उपदेशसे हुई, जिन्होंने अपने गुरु ब्रह्मचारी महतीसागरके स्मरणमें यह मंदिर निर्माण कराया। यह ब्रह्मचारी बड़े धर्मात्मा तथा त्यागी थे । इनके उपदेशसे दक्षिणमें बहुत सुधार हुआ था। यहां प्रतिवर्ष मगप्तर वदी २ से ७ तक रथोलवका मेला भरता है जिसमें वीसाहूमड़ भाई अधिक आते हैं । इस बर्ष गांधी नाथारंगजीने कुरीति निवारणका विशेष प्रबन्ध करेंगे ऐसी सूचनाके छपे हुए नोटिस भेजे थे । इसीपरसे सेठ माणिकचंदजी सकुटुम्ब शीतलप्रसादनीके साथ मेलेपर पधारे ।
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