________________
महती जातिसेवा द्वितीय भाग। [५५१ बैठकमें पंचमहालके कलेक्टर और शिवराजपुरकी सोनेकी खानके फोरेस्टर कई इंजिनियरोंके साथ आए थे। समाने बहुत सत्कार किया । कलेक्टर साहब बहादुरने आभार माना। तब लल्लूभाई प्रेमानंदने कहा कि पावागढ़ जैनियोंका अतिशय पवित्र स्थान है । आशा है साहबबहादुर उसे अपवित्र होनेसे बचाये रखनेका स्मरण रक्खेंगे । फिर १४ प्रस्ताव पास हुए। जिनमें मुख्य ये थे
१-सेठ नाथारंगजीको २५०००) पहले व २५०००) अब शोलापुर बोर्डिगके लिये निकालनेके अर्थ धन्यवाद । सभापतिने कहा कि उपयोगी विद्यादानमें सेठ माणिकचंदजीसे दूसरा नम्बर इनका है।
२-महासभाके सभापति सेठ द्वारकादासजी, मथुरा जिनका मरण ता० २० जनवरी १९०८ को हुआ व सेठ चुन्नीलाल झवेरचंदके मरणार शोक ।
३-रा० रा० अण्णाप्पा फड्याप्पा चौगले बी० ए०, एलएल०, बी०, बेलगांवको सर्वार्थसिडि ग्रंथमें परिक्षोतीर्ण होनेपर सेठ नाथारंगजीकी ओरसे एक स्वर्णपदक प्रदान किया जाय । इसको सेठ माणिकचंदजीने पेश करते हुए कहा कि "मि० चौगले ने अपनी बम्बई बोर्डिंगमें शिक्षा ली है और बहुत थोड़े समयमें · यह विद्वान् होकर जाहर कामों में भाग लेने लगे हैं। अब यह
बेलगांवकी म्यूनिसिपालिटीके सभापति तथा दि० म० जैन सभाके सेक्रेटरी हैं। इन्होंने सबसे कठिन संस्कृतके सर्वार्थसिद्धि ग्रंथमें बहुत ऊंचे नंबरों में परीक्षा पास की है जिससे सेठ नाथारंगजीने स्वर्णपदक.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org