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५४२] :. अध्याय ग्यारहवा । .. परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। वह तममा भेज दिया गया तथा अन्य भी विद्वान् धार्मिक शिक्षा लेवें ऐसी प्रेरणा की गई। वास्तवमें जब तक इंग्रेजीके ग्रेजुएट लोग धर्मके ऊँचे तात्विक ग्रंथोंको न जानेगे तब तक जैन तत्वज्ञानका विस्तार नहीं हो सक्ता । ____२. उदेपुर, बडौदा, जामनगर, राधनपुर, गोंडल, मोरबो व अक्कलकोटके अधिकारियोंने पशुवध बंद किया या घटाया इससे धन्यवाद दिया जाय ।
३. सेठ माणिकचन्द हीराचंदजीने प्रस्ताव किया कि तीर्थक्षे. त्रोंके झगड़ोंको मिटानेके लिये ६ दि० और ६ श्वे० सज्जनोंकी कमेटी नियत की जावे ।।
४. पं० लालनने प्रस्ताव किया कि जैनियोंके तीनों फिरकोंमें एकता रहे । इसका समर्थन सेठ माणिकचन्दजीने भी किया।
५. एक जैन बेकमें तीर्थ व मंदिरोंके रुपये रोके जांय, इसकी व्यवस्थाके लिये कमेटीमें दि० की ओरसे सेठ माणिकचन्दनी नियत हुए।
६. शिखरजीपर बंगले बंधनेका विरोध सम्बन्धी प्रस्ताव रांदेरके नगरसेठ छोटालाल नवलचन्दने पेश किया, जिसका समर्थन बाबू शीतलप्रसादनीने भी किया।
७. लेजिसलेटिव कौंसिलोंमें जैनियोंका एक २ मेम्बर हो ।
सेठ माणिकचंदजी और मूलचन्द किसनदाप्त कापड़ियाके प्रयत्नसे बिना किसी अंतरायके ऐसोसियेशनका काम पूर्ण हो गया।
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