________________
१०४ ]
अध्याय तीसरा ।
प्रबंध करनेमें आप ही प्रधान व्यक्ति हैं । वास्तवमें जिसकी कुलपरम्परा अच्छी होती है उसकी सन्तति यदि ऐसा कोई अंतराय न पड़े तो वह भी अच्छी ही होती है । हेमकुमरीकी लग्न करने के वाद साह हीराचंद व्यापार में लीन हो गए। माता पिता पानाचन्दकी वृद्धि पाती हुई मूर्तिको देख देखकर हर समय प्रफुल्लित होते थे । सूरत नगर में इंग्रेजी राज्य के होनेसे इंग्रेजी पढ़नेकी चर्चा बढ़ने लगी और साथ ही लोगों में पुस्तक और समाचार पत्र पहनेका भी शौक बढ़ा । संवत्
गणपतराव गायक
1
वाड़का दान | १९०७ व सन् १८५० में एडूस एड्स लायब्रेरी नामका पुस्तकालय स्थापित हुआ । लोग इसके द्वारा गुजराती व इंग्रेजी पुस्तक व पत्रोंके पढ़ने का लाभ लेने लगे। संवत् १९०८ व सन् १८५१ में गणपतराव गायकवाड़ जिनको अपने वैष्णव धर्मसे बहुत प्रेम था जंजूरी ग्राम खंडोबाकी यात्रा करनेको निकले थे तब सूरत होकर गए थे। यहाँके नागरिकोंने इनका बहुत सन्मान किया था। गायकवाड़ने स्वधर्म वृद्धि या यश लाभ चाहे जिस कारण से हो सूरत में इतना धर्म व दान किया कि सारे नगर में उनकी कीर्त्ति छा गई। जितने दिन वे ठहरे मानो धर्म व दानका राज्य ही हो गया ।
उसी समय एक रात्रि को अपनी पत्नी से बातें करते हुए साह हीराचंदने गायकवाड़ के दानकी बड़ी प्रशंसा की और गायकवाड़की जो कुछ चर्चा बाज़ार में सुनी थी वह सब कह सुनाई । उसी कथनमें यह भी बयान किया कि गायकवाड़ने ब्राह्मणोंके सत्कार
करनेके सिवाय हरएक मंदिर व पाठशाला में द्रव्यदान किया तथा नगरके
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
दानकी वासनाओंमें शेठ माणिकचन्दका
अवतार ।