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समाजकी सच्ची सेवा । [३५७ न्दजीको भी बहुत शोक हुआ, क्योंकि यह दूकानके काममें भी बहुत चतुर था । बम्बई बोर्डिंगकी ट्रष्ट कमेटीमें कोषाध्यक्ष और बम्बई प्रांतिक सभाके सरस्वती भंडार खाते का काम आपने अपने जीवन पर्यंत बहुत ही योग्यतासे सम्पादन किया था इससे बम्बईकी जैन
समाजको आपके वियोगका बहुत ही ताप हुआ। आपने संस्कृतका . अच्छा अभ्यास किया था व मराठी लिखना पढ़ना भी आप अच्छा जानते थे । सेठ हीराचंद नेमचंदकृत मराठी व्रतकथासंग्रह
और 'महावीरचरित्रका गुजराती भाषामें बहुत ही उत्तम उल्था किया था और उसे प्रकाशित कराया था। इसने प्रसिद्ध तीर्थोकी यात्रा भी कर ली थी। यह बहुत ही दयालु, सहनशील, साहसी व विचारशील था। इसके चित्रसे इस भव्यके गुण स्वयं झलक रहे हैं। हमारी समाजके नव युवक धनाढ्योंको सेठ प्रेमचंद के जीवनचरित्रसे शिक्षा लेनी चाहिये और अपनेको विषय कषायोंसे बचाकर धर्म व नीतिसे परोपकारमें तन मन धन लगाते हुए अपने जीवनको व्यतीत करना चाहिये। सेठ माणिकचंदजी नवीबाईके साथ अपने गृही कर्मको
विताते थे कि नवीबाईके गर्भ रहा । सेठनवीवाईके प्रथम जीको बहुत संतोष हुआ और मनकी इच्छापुत्रका जन्म। नुसार नवीबाईने मिती वैशाख सुदी १२ को
एक पुत्रका जन्म दिया । पुत्रलाभसे सर्व कुटम्बको हर्ष हुआ । वास्तवमें संसार कैसा विचित्र है कि जिस वरमें १ मास पहले शोक छाया हुआ था उसीमें आज पुत्रजन्मका उत्सव मनाया जाने लगा। नवीबाई पुत्रको बहुत सम्हालसे
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