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__ महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४०३ साथ ले एक दलालके साथ बहुतसी जगहोंको देखने गए । साथ वालोंने जो जगह पसंद की सो सेठजीके ध्यान में न आई । हाल जहां बोर्डिग है उस जगहको सेठजीने अपनी दीर्घ दृष्टिसे स्वयं पसन्द की तब और भी सहमत हो गये । इस जगह मकान भी बना हुआ था । कुल जमीन ४०४४ वर्ग गज थी । बोर्डिंग फंडमेंसे १६०००) देकर यह मकान खरीद लिया गया । आज यह ५००००) की मिलकियतका हो गया है। सेठजी कितने अनुभवी थे इस बातका इसीसे अच्छा पता लगता है। सेठ माणिकचंदनीका चित्त जैसे जैन जातिले उद्धारमें लीन
था ऐसे ही सर्व मनुष्यसमानकी तथा सेठजीका दया दान । पशु पक्षीकी भी रक्षाका पूर्ण ध्यान था।
__ जूनागढ़ निवासी एक दयालु ब्राह्मग लाभशंकर लक्ष्मीदास हैं, उन्होंने अपने जीवनका उद्देश्य जीवदया प्रचार बना लिया है। लंडनमें जो जीवदयाकी सभा सुसायटिये हैं उनसे इनका खास सम्बन्ध है । वहांके इस विषयके समाचारपत्र भी आप मंगाते रहते हैं व वहांकी छपी पुस्तकोंको वितरण कर मांसाहारका त्याग कराने व पशुरक्षा करानेका यत्न करते रहते हैं । सेठ माणिकचंदनीसे आपकी पूर्ण मुलाकात थी। सेठजी लाभशंकरकी सम्मतिसे अपना बहुतता रुपया जीवदयाप्रचारमें खर्च करते रहते व इंग्रजी पुस्तकोंको सदा ही बांटते रहते थे । लंडनमें हमेनीटेरियम लीगकी एक जीवदया सम्बन्धी संस्था है इसका मासिक पत्र भी मंगाते थे तथा इस समय उस संस्थाको ३१ पाउन्ड याने ४६५) रु० भेनकर सहायता पहुंचाई
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