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महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४४९ तय्यार हुए। सिंहई गरीबदास जो जबलपुर जैन बिरादरीके मुखिया हैं व अन्य कई साहबोंने कहा कि यहां पर पाठशालाएं कई दफे हो होकर टूट गई हैं किसीको शौक नहीं हैं, तब बोर्डिंग कैसे चलेगा ? सेठजीको अनुभव था। आपने कहा कि आप लोग १ वर्ष तक बोर्डिंगको चलाकर देखें, मुझे तो विश्वास है अवश्य चलेगा और आप लोग सब तरहसे समर्थ हैं। आपके यहां लाला भोलानाथने अपने परलोक गत पुत्र कस्तु.
रचंदके स्मरणार्थ २००००) सर्कारको स्कूलके जबलपुर बोर्डिंगके मकानके लिये दे डाले हैं इसी तरह मैं एक वर्षलिये २४००) के लिये ३००)मासिक अर्थात् २४००)बोर्डिका दान। गके लिये देता हूं, आप भी कुछ प्रबन्ध करो। तब
सिंहई गरीबदासजीने अपनी पंचायत जोड़ी और वादानुवादके वाद ठहराव किया कि जबतक बोर्डिंग रहे यह पंचायत ५१) मासिक बराबर देती रहे । इसीका मासिक चंदा लिख लिया गया। तब ता० २७ मार्चकी रात्रिको जैनियोंकी आमसभा हुई। सभापति परोपकारी अजैन रायसाहब मुन्नालालजी हुए । एकमत होकर बोर्डिग, स्थापनका प्रस्ताव पास किया गया । २१ मेम्बरोंकी प्रबन्धकारिणी कमिटी बनी । सभापति उक्त रायसाहब, कोषाध्यक्ष सिंहई डालचंद नारायणदास और मंत्री बाबू दयालचंद अकौन्टेन्ट डिवीजनल-जज नियत हुए । बोर्डिंग खोलनेका महूर्त बैशाख सुदी ३ सं० १९६३ ता. २६ अपैल १९०६ नियत हुआ।
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