________________
महती जातिसेवा द्वितीय भाग । [५०९ १०) नकद दो मासके लिये दिये । फिर उदयपुर आए । तालावके बीचमें राजा साहबका शिव महल देखा, जिसमें कांचकी नक्कासीका काम अति प्रशंसनीय है। यहां चितेरा पन्नालाल वल्द गोपाल मेवाड़ा सुतार कांजीकी हाटमें रहता है उसीके हाथका यह काम है। यहांके पहाड़ोंमें संगमर्मर पाषाणकी खान है। यहां चक्कियों द्वारा पत्थरका सिमंट पिसवाकर राना साहबके काममें आता है। यह बहुत उत्तम होता है। यदि मशीनमें तय्यार हो तो वह बहुत लाभदायक हो जावे । रात्रिको सभामें बालविवाह कन्याविक्रय आदि पर भाषण हुए। शीतलप्रसादनी और सेठजी दोनोंने बहुत जोर दिया। कई भाइयोंने कन्याका विवाह १२ वर्षसे कममें न करनेका प्रण लिया । औरोंने स्वाध्यायादिके नियम लिये। सेठजी यहां हाकिम वखतसिंहजीसे मिले और कहा कि धुलेव मंदिरकी प्रबन्धकारिणी कमेटीमें दिगम्बर जैनी भी मेम्बर होना चाहिये तथा सेठजीने प्रार्थना की कि दो मीलकी सड़क ठीक करा दी जावे । उक्त महाशयने कमेटी द्वारा विचार करना स्वीकार किया। __यहांसे सेठजी रतलाम आए और यहांके लोगोंसे मिले.
व स्कूल आदि देखे । सेठ पानाचंदनीकी रतलाम बोर्डिङ्गकी इच्छा बागड़के हूमड़ नातिके बालकोंको फिक। । शिक्षा प्रदान करनेकी थी। रतलामसे बागड़
करीब है इससे सेठनी रतलाममें एक बोर्डिंग खोलना चाहते थे। १ दिन ठहरकर सुरत आए।
अब तक फुलकोर कन्याशाला नहीं खुली थी। सेठनीने तुर्त एक मकान नवापुरामें ढूंदा और एक वृद्ध शिक्षकको तलाश किया:
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org