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अध्याय दशवां वर्षातके मौसममें सेठजी बम्बई ही में ठहरे और तीर्थक्षेत्र कमेटीके दफ्तरमें अपने दिनका बहुतसा समय देने लगे । भादो मासमें आपने शीतलप्रसादनीके द्वारा गुजराती दि० जैन मंदिर में सवेरे दशाध्याय सूत्रजीके अर्थ बँचवाये तथा रात्रिको शास्त्रीद्वारा अनेक प्रकारका उपदेश कराया। बम्बई में सेठजीका सम्मान सर्व ही करते थे। श्वेताम्बरी
विद्वद् मंडली भी बड़े आदरसे देखती थी। मांगरोल जैन सभा में यहां श्वेताम्बर जैनियों की एक मांगरोल जैन सेठजी सभापति । सभा है उसका एक अधिवेशन ता. १०
सितम्बर०६के रोज हुआ और सेठ माणिकचंद हीराचंद जे. पी. को सभापतिका आसन दिया । इस सभामें अहमदाबाद निवासी मि० नगीनदास पुरूषोत्तमदास संववीने — आहारशुद्धि' पर एक मनोहर व्याख्यान दिया था। सेठ माणिकचंदनीकी दूसरी सुसराल फलटन में थी इसलिये
फलटन जानेका बहुत अवसर पड़ता था। · फलटन सरकारसे मि-वहांके राजासे भी आपकी मित्रता ही सी त्रता व कन्याविक्रय थी। सेठजी मकान बनानेके काममें ऐसे निषेध । अनुभवी थे कि अच्छे इंनीनियर जिप्स बात
को नहीं सोच सक्ते वह इनके ध्यानमें आती थी। सेठजीने बोर्डिंग व हीराबाग धर्मशालाके सिवाय बम्बई में कई बड़े २ आलीशान मकान अपनी बुद्धिसे बनवाए थे जो आज तक -मौजूद हैं। चौपाटीका रत्नाकर पेलेस समुद्रकी सुन्दर पवन लेनेके लिये बम्बईमें एक अनुपम महल है। महाराज फलटन एक दफे
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