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अध्याय ग्यारहवां ।
(१) अमीर काबूलको धन्यवादका तार भेजा गया जो उन्होंने अपने वास्ते दिहलीके मुसलमानोंको गाय वधसे मना किया (२) सेठ माणिकचंद हीराचंद जष्टिस आफ दी पीस हए इस लिये सभाने हर्ष प्रगट किया (३) स्वदेशी वस्तु प्रचार तथा वाणिज्यवृद्धिका प्रस्ताव पंडित गोपालदासने पेश किया, जिसका समर्थन देशभक्त मि० एन० पी. पाटणकर बी० ए० एलएल० बी० ने एक प्रभावशाली व्याख्यान देकर किया (४) सखाराम वेणीचंद फलटणको सेठ बालचंद रामचंद शोलापुरकी ओरसे सुवर्ण पदक इस लिये दिया गया कि कन्याके पिताके न चाहनेपर भी इसने जबतक अपना विवाह जैन पद्धतिसे नहीं हुआ विवाहके लिये तय्यार न हुआ, नियत महुर्त भी टाल दिया तब दूसरे महुर्तमें जैन विधिसे ही विवाह कराया (५) वैद्यरान और वैद्यरत्न कन्हैयालालनीको सुवर्णपदक प्रदान किया गया (६) सेठ नेमीचंद अजमेरके रायबहादुर होनेपर हर्ष प्रकाश किया गया । आगामी वर्षके कार्याध्यक्षों में सेठ माणिकचंद हीराचंद जे० पी० ही सभापति रहे । उपदेशक फंडके मंत्री जौहरी ठाकुरदास भगवानदास व परीक्षालयके सेठ रावजी सखाराम शोलापुर हुए। सेठ हीराचंद नेमचंद की सुपुत्री कंकुबाई व श्रीमती मगनबाईने स्त्रियों में जागृति की। ता० २९ की रात्रिको एक खास आम सभामें कंकुबाईजीने बहुत ही उत्तम व्याख्यान दिया ।
नासिककी पिनरापोलके लिये चंदा हुआ, जिसमें सेठ माणिकचंदजीने १०१) प्रदान किये । प्रानिक सभाके लिये अपील हुई उसमें भी सेठजीने २०१) सबसे पहिले दिये । इस जल्से में सूरतसे सेठ
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