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अध्याय दशवां ।
कन्हैयालाल जैनको बुलाकर अपनी बम्बईमें औषधालय। सहायतासे एक पवित्र जैन औषधालय खु
लवा दिया जिससे अशुद्ध दवाओंसे बचकर जैन व अजैन शुद्ध औषधिये सुगमतासे प्राप्त करें। सेठ माणिकचंदनी शीतलप्रसादनीके साथ सम्मति किया ही
करते थे । एक दिन आपने कहा कि यह बुन्देलखंडमें बोडिंग- बम्बई में बुन्देलखंडके जो यात्री आते हैं और की आवश्यक्ता। इस चौपाटी चैत्यालयका दर्शन करनेके बाद
मुझसे मिलकर वातचीत करते हैं तब उधर शिक्षाकी बहुत कमी मालूम होती है तथा ग्रामों में रहनेवालों के लिये पढ़नेका साधन नहीं है, इससे आर्थिक दशा भी अच्छी नहीं है, इस लिये बुदेलखंडके उद्धारके लिये कहीं न कहीं बोर्डिंग खोलनेकी आवश्यक्ता है। दोनोंकी सम्मतिमें जबलपुर स्थान ठोक जंचा क्योंकि वह मुख्यनगर है तथा वहां कालेन और स्कूल भी हैं, ट्रेनिंग कालिज भी है। जैनियोंकी स्थिति भी अच्छी है । शीतलप्रसादसे सेठनीने कहा कि वहां बोडिंग स्थापित कराने का सिलसिला डालना चाहिये । शीतलप्रसादजी महासभाके महाविद्यालयकी डेपुटेशन पार्टीके साथ कुछ ही मास पहले जबलपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा आदिमें दौरा कर चुके थे जिससे वहांके हालातसे परिचित थे । आपने सब स्थानोंके धनाढ्योंका हाल बताया और यह सम्मति दी कि श्री कुंडलपुर (दमोह) का मेला जो चैत्रमें होता है उसमें आप 'पधारे और वहां मुख्य २ भाइयोंको बुलानेकी प्रेरणा करें। फिर वहांसे जबलपुर चलकर इसका यत्न करें। यह बात निश्चित हो गई
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