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महती जातिसेवा प्रथम भाग |
[ ४२१ २९ की बैठक में जैन कालेज के लिये हज़ारोंका चंदा हो गया । इस सबका जोड़ ३०७५३) * का है। सबसे बड़ी रकम हैं१००००) लाला खूबचंद रईस मेरठवाले हाल सहारनपुर । ५०००) चौधरी खूबचंदनी
२०००) बद्रीदास पार्श्वदास १०००) लाला रूपचंद रईस
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१०००) सेठ द्वारकादास रईस, मथुरा । १०००) सेठ माणिकचंद पानाचंद जौहरी, बम्बई । १०००) बाबू अजितप्रसाद खजांची, देहरादून । यह चंद्रा महासभा के कार्यकर्ताओं में फूट होने के कारण सिवाय एक दो रकमोंके अबतक ( सन् १९१६ तक ) बसूल नहीं हुआ है । वर्तमान महासभा कार्याध्यक्षोंको उचित है कि इसे बसूल कराके दातारोंको पाप बंधसे मुक्त करें, क्योंकि स्वीकार की हुई रकम न देना महा पाप है ।
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रात्रिको स्त्रीसभा में मगनबाईजीने रत्नकरंड श्रावकाचार बांचा | सेठ हीराचंद नेमचंदका धर्मकी उत्तमत्तापर विद्वतापूर्ण भाषण हुआ ।
हकीम कल्याणराय उपदेशकको महासभा की ओरसे सुवर्णपदक दिया गया। महासभा में प्रस्ताव नं० ६ महाविद्यालयको मथुरासे सहारनपुर लानेका हुआ । N. W. रेलवेका किराया घट जानेसे २००० मनुष्यों की भीड़ हो गई थी। इस मौकेपर सेट माणिकचंद को बहुतसे नवयुवकोंसे परिचय हुआ ।
* यह सूची जैनगज़ट अंक २३ ता० १६ जून १९०६ में मुद्रित है
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