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महती जातिसेवा प्रथम भाग [४३५ गर्गापदेशिका नामकी संस्कृत व्याकरण पढ़ाती हैं। जबसे सेठजीने बम्बई में हीराबाग धर्मशाला बनवाई इनकी
दान-व उदारताकी प्रसिद्धि आम लोगों में सेठ माणिकचंद हीरा- बहुत हुई। सर्कारके यहां जब ऐसे परोपचंदजीको जे. पी. कारी व जाति व देशहितके काम करनेवालोंकी पदवी। की खबर पहुंचती है तब वह प्रतिष्ठा देनेका
विचार करती है। यद्यपि बहुतसे आदमी प्रतिष्ठा पानेके लिये सिफारिश कराते हैं अथवा अफसरोंके द्वारा करार कराते हैं कि हम अमुक रकम अमुक ग्वातेमें देंगे हमें पदवी दिला दी जाय । सेठ माणिकचंदनीको न प्रतिष्ठाको इच्छा थी न किसी उपाधिकी, स्वतः ही इनको विलकुल खबर ही नहीं थी। इनके पास सर्कारी पत्र आया जिसकी नकल नीचे हैं कि तुम बम्बई शहरमें जष्टिश ऑफ दी पीस अर्थात् शांतिके न्यायाधीश नियत हुए। इस पदसे नगरमें मजिष्ट्रेटकासा हक हो जाता है। जिस कागजपर यह दस्तखत कर दें उसे फिर और रजिस्ट्रार या मजिष्ट्रेटसे हस्ताक्षर करानेकी ज़रूरत नहीं है।
नकल पत्र सर्कारी। Commissioner of the piece for the city of Bombay.
This is to certify that Mr. Manekchand Hirachand was by nomination of Government in the Judicial Department no. 1433 dated the 14th March 1906 appointed under the proyssions of section 23 of the Code of Criminal Procidure 1898 to be a Justice of the Peace
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