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अध्याय नवां। पालने लगी। सेठजीने भी दासियां नियत की कि इसे कोई कष्ट न हों। सेठ रावजी नानचंद गांधीने शोलापुरमें जिनबिम्ब पंच
कल्याणकोत्सव मिती ज्येष्ठ सुदी ६ से ९ वंबई प्रांतिक सभाका सं० १९६० तक बहुत ही समारोहके साथ द्वितीय वार्षिकोत्सव पास गोपाल शास्त्री द्वारा कराया । बाहरसे
और शोलापुरकी करीब २००० के भाई आए थे। हमारे बिम्बप्रतिष्ठा। सेठ माणिकचंद आदि बम्बईके अनेक
सज्जन पधारे थे। सेठ रावजी नानचंदने नया रथ तैयार कराया था सो पंचायतीमें अर्पण किया तथा प्रतिदिन सबका भोजनसे सत्कार किया। प्रांतिक सभाके सदस्योंका बहुत सन्मान किया और ५०१) सभाको भेंट किये । प्रांतिक सभाकी ४ बैठके हुई । सेठ हरीभाई देवकरणवाले सेठ बालचंद रामचंद सभापति हुए । आपने कहा कि इतनी बातोंका प्रबन्ध किया जाय किदि. जैन धर्मशास्त्रके ज्ञाता विद्वान् तयार हो, जैन धर्मानुसार लग्न, विवाह, मृत्यु आदि क्रियाएं होवें, व्यर्थव्यय रोका जावे, मृत्यु पीछे रोने कूटनेका रिवाज बंद हो, बाल्यविवाह व कन्याविक्रय रोका जावे व तीर्थक्षेत्रोंकी व्यवस्थाका सुप्रबंध हो । १८ प्रस्ताव पास हुए जिसमें मुख्य ये थे-(१) महाराज सप्तम एडवर्डके राज्यारोहाणोत्सवमें हर्ष (२) सर्कारसे प्रार्थना हो कि विद्याविभाग आरोग्य संबंधी तथा जेलखानेकी रिपोर्टोंमें जैनियोंका अलग खाना हो (३) मृत्युके पीछे छाती कूटनेका रिवाज जोधपुर मारवाड़की तरफसे इस गुजरातमें आया है। मारवाडके रजवाड़ोंमें जब राजगोतीका
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