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लक्ष्मीका उपयोग । [२१५ गी। इसके सुधारमें प्रयत्न करनेकी मेरे मनमें बहुत दिनोंसे, है । मैंने गांव गांवमें जाके गरीब व श्रीमंतोंके मत लिये तो कोई मुझसे विरुद्ध मत नहीं घरते, मात्र अतःकरणसे उद्योग करनेवाला मनुष्य चाहिये तो यो कुरितियां धीरे २ निकल जायगी। आपका क्या अभिप्राय है सो लिखें। इस पत्रको देखकर सेठ हीराचंदजीने शोलापुर जिलेके
___ ग्रामोंके भाईयोंके अभिप्राय मंगानेको - जैनबोधक का उदय । पत्र भेनने प्रारंभ किये। कुछ
दिनोंबाद जैन बोधक' नामक एक मासिक पत्रकी पहली जिल्द छपवाकर सेप्टेम्बर सन् १८८५ का अंक प्रसिद्ध किया और खास २ जैनियोंको जिनका आपको परिचय था भेना । दिगम्बर जैनियोंमें इस समय तक केवल १ वर्ष रहले सबसे प्रथम एक ही मासिक पत्र और निकला था जिसको ज्योतिषरत्न पंडितजियालाल जैन चौधरी ने सन् १८८३ में निकाला था इसका नाम “ जैन प्रकाश हिंदुस्तान" रक्खा था। यह हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओंमें निकला था परंतु अधिक दिन चल नहीं सका था। जैन बोधकने समाजके जागृत करने में बहुत उपकार किया है। इसको १८९८ तक स्वयं हीराचंदने फिर पं० कलापा भरमापा निटवेने सन् १९११ तक' चलाया । फिर पांच वर्ष बंद रहा और अब इस वर्ष यह फिर शोलापुरसे जीवरान गौतमचंद दोशी द्वारा संपादित होकर निकलने लगा है। इस पत्रके पहले अंकमें सम्पादकने पत्र निकलनेके मुख्य उद्देश्य प्रगट किये हैं उनका सार इस भांति है:
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