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अध्याय नवां । प्रेमचंदनीकी प्रथम स्त्री चंचलबाई बहुत अशक्त तथा बीमार
रहती थी। १ वर्ष ही के पीछे ही वह प्रेमचंदजीका द्वितीय इस शरीरको छोड़ कर चल दी। माता विवाह । रूपाबाई तथा प्रेमचंदका ऐसा ही भवितव्य था
यह जान शांत मन रहे। इस वर्ष माताने प्रेमचंदका द्वितीय विवाह ग्वालियर राज्यके जावद निवासी एक वीसाहूमड़की कन्या चम्पाबाईजीके साथ किया । यह कन्या स्वरूपवान, सरल स्वभावी, और आज्ञानुसार चलनेवाली थी। इसके लाभसे माता व प्रेमचंदको बहुत सन्तोष हुआ। सेठ माणिकचंदनीकी प्रथम पुत्री फूलकुंवरीको एक कन्या
जन्मी जिसका नाम कमलावती रक्खा फूलकुंवरीको तथा जन्मोत्सव करके इसकी रक्षाका पूरा कन्याका यत्न किया। इसके दो वर्ष बाद दूसरी पुत्री लाभ। हुई जो सिर्फ पांच दिन ही जीवित रहकर
मृत्युके वश हो गई इस समय फूलकुंवरीको मी असाध्य बीमारी हो रही थी और एक मास बाद वह भी चल बसी । सेठ पानाचंदकी स्त्री रुक्मणीबाई संतानकी रक्षामें बहुत चतुर
__ थी तथा इसके इस समय संतति-वियोग सेठ पानाचंदजीको करानेवाले कर्मोका उदय न था। लीलावती पुत्रका लाभ। ४ वर्ष और रतनमती २ वर्षकी थी तब
भी यह बाई पुनः गर्भवती हुई । इस समय रानाचंदको यद्यपि पुत्रकी निराशासी थी पर पुण्यके उदयसे गुज०
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