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समाजकी सच्ची सेवा । [३१५ भेजकर दौरा कराया जाता था । मिती मगसर सुदी ८से बाबू जुगलकिशोरजी देवबन्द उपदेशक नियत हुए थे जिन्होंने कुछ दिनों तक बहुत स्थानोंमें भ्रमण कर उपकार किया। सरस्वती भंडार खातेसे संस्कृतादि ग्रंथ संग्रह किये जाते थे, पारितोषिक भंडारसे परीक्षालयद्वारा भारतवर्षके विद्यार्थियोंकी परीक्षा लेकर उत्तम छात्रोंको ईनाम दिया जाता था । औषधालय खाता था जिससे दवाई बटती थी! सभामें कभी २ सेठ माणिकचन्दनी भी व्याख्यान
देते थे । सं० १९५३ में मिती आषाढ़ सेठ माणिकचंदजी सुदी १४ की सभामें आपने ४ शिक्षाबत व्याख्यानदाता। पर गुजराती भाषामें सेठ हरमुखराय अमो
लकचंदके सभापतित्वमें बहुत गंभीरतासे कहा था । सेठजीके भतीजे सेठ प्रेमचंद मोतीचंद जौहरीमें बहुत अच्छी
योग्यता थी। यह भी हर एक सभामें आते प्रेमचंद मोतीचंद और कभी २ व्याख्यान दिया करते थे। व्याख्याता । श्रावण सुदी १४ को सेठ माणिकचंदजीके
सभापतित्वमें आपने सप्त तत्वोंका वर्णन बहुत योग्यतासे किया जिससे पं० गोपालदास व अन्य सभासदोंको ऐसा निश्चय हुआ कि यह अपने काका माणिकचंदकी भांति परोपकारी व समाजसेवक होगा।
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