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सन्तति लाभ।
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करना बन्द कर उदासीन रूपमें कत्थई रंगके कपड़े पहनने शुरू किये जैसा कि गुजरात देशमें रिवान है। पान खाना त्याग दिया, दिनमें नियम करके दो तीन वार प्रमाणसे भोजन पान करने लगों, प्रायः सदा ही एक न एक रसको छोड़ने लगी, अष्टमी व चतुर्दशीको उपवास व एकासन करने लगीं, दोनों समय कभी तीनों समय बड़े भावसे जाप व सामायिक करने लगीं । जैसा समय मिले पूना सुनने व शास्त्र सुननेमें विताने लगीं। अब घरमें कामकी अधिकतासे रसोई करने वाले नियत हो गए थे, इससे स्त्रियोंके आधीन केवल सामानकी देख भाल व साग तर्कारी आदिकी तय्यारी करना इतना ही काम रह गया था । इधर इन सेठोंका व्यापार खूब बढ़ चला था । विलायतके हर सप्ताहके मेलमें इनके एक २ दो २ पार्सल पचास पचास हजार तकके जाने लगे थे, दूसरे तीसरे दिन विलायतसे मालके आफर तार द्वारा आने लगे थे। तारद्वारा विक्री होने लगी। दो तीन वर्षतक विलायतका
व्यापार इतना जोरसे चला कि हरएक पार्स. व्यापारमें अटूट लमें इन्होंने दुगनेसे कम लाभ नहीं किया, लाभ। विलायतमें जवाहरात पहननेका नया शौक पैदा
हुआ था उससे मोतीकी खूब ही विक्री हुई । माणिकचंद पानाचंदका फर्म मालकी सुन्दरता, सफाई व छांटमें विलायतमें भी प्रसिद्ध हो गया। इन वर्षोमें लक्ष्मीने सेठोंके घरको अच्छी तरह भर दिया । - इन दिनों चीन देशमें भी माल जाने लगा था । प्रसिद्ध सेठोंने वहां भी माल भेजना और अच्छा नफा करना शुरू कर दिया
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