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जाग्रत महिलायें।
सिनेमा में भारतीय ___ee स्त्रियों का स्थान
लेखिका, श्रीमती वासंतीदेवो पडकोण विराज-कल की परिस्थिति में अनेक ध्यान रखना होगा कि उनकी मर्यादा-रक्षा का समुचित या स्त्रियाँ पुरुषों के समान हर प्रबन्ध है या नहीं। सिनेमा में उनको अपमानजनक
D तरह के उद्योग कर रही पार्ट करने को न देना चाहिए। हमें भारतीय या l हैं और समाज-सुधारक महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। युगयुगान्तर ATLI पुरुषवर्ग उनको उत्तेजन देता से भारतीय महिलायें अपनी सहनशीलता, नम्रता,
है। यह आनन्द की बात लज्जा, प्रेमपूर्ण स्वभाव के लिए प्रसिद्ध हैं। अतएव
है। भारतीय महिलाओं ने उनके इन गुणों की रक्षा सिनेमा में ज़रूर होनी चाहिए। हर एक उद्योग में भाग लेने का प्रयत्न किया है और क्या हर एक पुरुष कलाप्रेमी है ? सिनेमा-कम्पउन्होंने सफलता भी पाई है। सिनेमा भी एक उद्योग नियों के मालिक और उसमें भाग लेनेवाले युवक है और सिनेमा में भाग लेने के बारे में आज-कल क्या सभी कलाप्रेमी हैं ? कभी नहीं। हिन्दुस्तान में स्त्रियों में--यहाँ तक कि पढ़ी-लिखी और उच्चकुल की : न जाने कितनी सिनेमा-कम्पनियाँ हैं, परन्तु इनमें कुमारी और विवाहित स्त्रियों में भी काफी चर्चा हो सिर्फ एक या दो कम्पनियाँ ही ऐसी हैं जो स्त्रियों को रही है।
गौरवपूर्ण पार्ट देकर उनकी मानमर्यादा का ख़याल परन्तु मेरा कहना यह है कि उच्चकुल की स्त्रियों के रखती हैं। सिनेमा में भाग लेने के पहले हमारे सुधारक-समाज को इसी प्रकार डायरेक्टर देवकी बोस के कलम सिनेमा-सम्बन्धी अनेक विषयों पर ध्यान देना होगा। से उतरे हुए और उनके ही 'डायरेक्शन' में किये गये यह सच है कि हमारी भारतीय महिलायें इस कला कई चित्रपट हैं। बंगाली चण्डीदास, हिन्दी मीराबाई, में भाग लेने के योग्य हैं। उनकी कार्य-कुशलता, नम्रता, पूरणभक्त, सीता-इन सब फ़िल्मों में उन्होंने अपना तथा कला-प्रेम भूषणास्पद है। पुरुष स्त्रियों का पार्ट कला-प्रेम सचाई और दिल से प्रकट किया है और लेकर स्त्रियों की नक़ल करने में कभी समर्थ नहीं हो स्त्री-पार्ट का गौरव किया है। इनमें भारतीय महिलाओं सकते, इसलिए स्त्रियों को चित्रपट में भाग लेने के लिए का सद्गुण, मर्यादा, प्रेमपूर्ण स्वभाव पूर्णरूप से प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर चित्रपट-कला के दिखाया गया है। प्रभात फ़िल्म कम्पनी के कई चित्रधन्धे को आगे बढ़ाना है तो इस बात की ओर ध्यान पटों में भी उन्होंने इसीतरह स्त्रियों को उनके स्वभावानुदेना ही होगा!
सार ही पार्ट दिये हैं। उनके चित्रपट ये हैं-चन्द्रसेना, परन्तु स्त्रियों को सिनेमा भेजने पर इस बात का अयोध्या का राजा, जलती निशानी, सैरंध्री, अमृत
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