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[प्रतिमास प्राप्त होनेवाली नई पुस्तकों की सूची । परिचय यथासमय प्रकाशित होगा।]
१–श्यामसतसई (कविता)- लेखक, श्रीतुलसी- प्रकाशक, श्री रामानन्द-ग्रन्थमाला-कार्यालय, अयोध्या राम शर्मा 'दिनेश', प्रकाशक, श्री गंगाराम अग्रवाल, यू० पी० है और मूल्य |-) है। कालबादेवी रोड, सूरजमल की चाली, बम्बई, हैं। १२-१३-त्रिपिटकाचार्य राहुल सांकृत्यायन
२-भारतीय सहकारिता-आन्दोलन-लेखक, श्री लिखित, साहित्य-सेवक-संघ, छपरा, से शंकरसहाय सकसेना, एम० ए०, प्रकाशक, एस० एस०
प्रकाशित २ पुस्तके सकसेना, बरेली कालेज, बरेली, हैं और मूल्य २) है। ___ (१) मेरी यूरोप-यात्रा-मूल्य १॥-) है ।
३-सम्प्रदाय-प्रदीप-अनुवादक और प्रकाशक, __(२) लंका-मूल्य 112) है। प्रो० कण्ठमणि शास्त्री, विशारद, संचालक, विद्या-विभाग, १४-आयुर्वेदाङ्क:-प्रकाशकः, महामहोपाध्याय पं० कांकरोली और मूल्य २) है।।
श्रीगिरिधरशर्मा चतुर्वेदः राजकीयसंस्कृतविद्यालयाध्यक्षः ४-सम्प्रदाय-प्रदीप (गुर्जर-भाषानुवाद)-अनु- जयपुरम् । वादक, श्रीभट्ट जटाशंकर शास्त्री, प्रकाशक, विद्या-विभाग, कांकरोली हैं।
१-२-पण्डित जवाहरलाल चतुर्वेदी की ५-हिन्दीमुहावराकोष–सम्पादक, श्री एम० वि०
दो पुस्तकेंजम्बुनाथन, एम० ए०, बी० एस-सी०, प्रकाशक, एम० वि० १) भक्त और भगवान-यह पुस्तक अपने ढंग शेषाद्रि एन्ड कम्पनी, बलेपेट, बेंगलोर सिटी हैं और की एक ही है। इसमें भगवान् के भक्तों की मनोहर मूल्य सजिल्द पुस्तक का १||) है ।
सूक्तियाँ हैं । इसकी पृष्ठ-संख्या ३०६ है। छपाई-सफाई ६-प्रलाप- रचयित्री, श्रीमती सुशीलादेवी सामन्त, ___ भी सुन्दर है । प्रारम्भ से अन्त तक कवियों के अनोखे प्रकाशक, श्री देवेन्द्रनाथ सामन्त, एम० ए०, एल-एल० उद्गारों का आनन्द मिलता है। पुस्तक अध्यायों में बी०, एम० एस-सी०, चाईबासा हैं ।
विभक्त नहीं है । शायद भक्ति के अनन्त प्रवाह का रोकना ७-६-श्री महेशचन्द्रप्रसाद एम० ए०, पटना, उचित नहीं समझा गया। की तीन पुस्तकें
सूर, तुलसी, रहीम, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रतापनारा(१) हिन्दूसभ्यता- मूल्य १) है; (२) जातक- यण मिश्र, रत्नाकर, जौक आदि की रसवती कवितायें बड़े माला अथवा ज्ञानगंगा-मूल्य ॥) है; (३) प्रबोध- रोचक ढंग से इसमें संग्रह की गई हैं। सभी उद्धृत चन्द्रोदय-नाटक-मूल्य ॥) है।
सूक्तियों के आगे और पीछे ऐसी टिप्पणियाँ जमाई गई १०-प्रेम की देवी-लेखक, श्रीगणेशप्रसाद हैं जो व्यंग्य और हास्य के साथ एक मीठी चुटकी लेती श्रीवास्तव, प्रकाशक, श्री चिरंजीलाल तुलसाना, ३ दहीहट्टा हैं। एक उदाहरण लीजिए-“दुख हरौ द्वारिकानाथ स्ट्रीट, कलकत्ता हैं और मूल्य ।।) है।
सरन मैं तेरी"- यह एक बहुत प्रसिद्ध लावनी है। इसमें ११-श्रीरामानन्द-नाटक-लेखक, श्री वैष्णव, द्रौपदी के चीरहरण की हृदयद्रावक कथा है। इसको
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