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संख्या ४]
तोक्यो शहर
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बने माल को पहुँचता देख लेगा। सचमुच ही यदि कोई उस समय ऐसी भविष्यवाणी करता तो हँसी का भी वह पात्र न समझा जाता।
एक एक चित्र कोदेखते चले जाइए। कला के बारे में कहना ही क्या है जब कि
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उसके बनाने के लिए
जापान के चोटी के कलाकार निमंत्रित किये गये थे।
आठवाँ चित्र [तोक्यो-एक डिपार्टमेंट स्टोर जिसमें आप अपनी आवश्यकता की सभी चीजें देखिए, यह ८ फ़रवरी
एक जगह खरीद सकते हैं १८६८ को सम्राट मेइजी के राज्यारोहण का चित्र है। सम्राट् अब भी पर्दे राज्य-शासन के आने तथा दूसरी सारी प्रगतियों के पीछे एक | के भीतर हैं।
बहुत दूरदर्शी दिमाग़ काम कर रहा था, और वह पुरुष था सोलहवें चित्र को देखिए। विरोधियों को परास्त कर तोमामी इवाकुरा । ५ जुलाई १८८३ ई० को सम्राट मेइजी | मेइजी सम्राट क्योतो से अपनी नई राजधानी तोक्यो को स्वयं इवाकुरा की बीमारी सुन कर उनके घर उन्हें देखने पालकी पर जा रहे हैं। रास्ते में किसानों को खेत काटते गये थे। १६ जुलाई को जब इवाकुरा की बीमारी की भयंदेखकर पालकी को खड़ी कर देते हैं। शताब्दियों के बाद करता की खबर मिली, उस समय जाने की विशेष तैयारी यह पहला अवसर (११ नवम्बर १८६८) था जब जापान भी न की। प्रतीक्षा किये बिना कुछ शरीर-रक्षक अफ़सरों को का सम्राट अपनी प्रजा के श्रम को इतनी समीपता से देख लिये वे इवाकुरा के घर पर गये। इवाकुरा जापानी-प्रथा के रहा था।
अनुसार धरती पर बिछे बिस्तर पर लेटे हुए थे। उनकी सत्ताईसवें चित्र में पर्दे में रहनेवाले सम्राट पुरानी स्त्री और लड़के की बहू सेवा में थीं। सम्राट के एकाएक प्रथा को तोड़-फोड़कर घोड़े पर सिपाहियाना वेश में चढ़े पहुँच जाने पर तथा रोगी के अधिक निर्बल होने से बहू सेना की परेड देख रहे हैं।
ने सिर्फ़ हकामा (लंबा-चौड़ा जापानी पायजामा) लिहाफ़ तेंतालीसवाँ चित्र बहुत ही प्रभावशाली है। इसकी पर डाल दिया और ससुर को सहारा देकर बैठा दिया । कापियाँ कभी कभी आप जापानी घरों में भी देखेंगे। सम्राट् 'नहीं नहीं कहते पहुँच गये। उस समय मरणासम्राट मेइजी प्रतिभाशाली थे, इसमें सन्देह नहीं, किन्तु वे सन्न इवाकुरा हाथ जोड़कर प्रणाम कर रहे थे, और सोलह ही वर्ष के थे जब पिता के मरने पर राज्य के उनके नेत्रों से कृतज्ञता-पूर्ण अश्रुओं की धारा बह उत्तराधिकारी हुए। शगुन के हाथ से सम्राट के हाथ में रही थी।
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