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卐) अाकाश
सिन्ध देश के ऊपर
'अस्त्रिया' नाम के
काब सुबह होगया है। जोधपुर से कर घने हो जाते हैं - इसी समय, जब मैं यह पत्र लिख
प्रस्थान करने के समय हमारे रहा हूँ, इन सघन गहरे बादलों ने पृथ्वी को पूर्णतया ढंक सा ऊपर आकाश में चमकीले लिया है। इस समय तूफ़ान में हिलते हुए हिमाच्छादित
| तारे प्रकाशमान थे और नीचे प्रदेश की कल्पना बहुत सहज में ही होने लगती है । CONVERSY पृथ्वी पर अन्धकार का प्रसार हम लगभग १०,००० फुट की उँचाई पर उड़ रहे हैं,
ON था। जैसे जैसे हम वायु को और हमारे ऊपर बादलों से शून्य स्वच्छ आकाश है।
'चीरते हुए पश्चिम की ओर कानपुर और दिल्ली में बहुत-से मित्र मुझसे मिलने के बढ़ रहे थे, प्रभात हमारा पीछा कर रहा था । धीरे-धीरे उसने लिए आये थे। दिल्ली में और बहुतों के अतिरिक्त बा,
आकाश के अगणित तारों को बुझा दिया । नीचे पृथ्वी पर अंसारी और ज़ोहरा भी थीं। वहाँ हमने भोजन किया मरुप्रदेश दृष्टिगोचर हुअा-ऊसर और उदास ! सूर्योदय और फिर चल दिये। नई दिल्ली तो प्रकाश की एक लपटहोगया था. और अपने से बहुत नीचे हमने देखा कि हिम, सी मालूम होती थी। रात के साढ़े बारह बजे हम जोधपुर तूल या ऊन जैसे बादलों के बड़े बड़े टुकड़े फैले हुए थे। पहुँचे और एयरोड्रोम से करीब ही स्टेट होटल में ले जाये कभी ये बादल खण्ड खण्ड होकर छोटे छोटे टुकड़ों में गये, जो हर एक तरह की आधुनिकता से परिपूर्ण था। बँट जाते हैं और खुले हुए स्थलों के बारपार-जैसे घूघट हममें से प्रत्येक को एक यात्री-कार्ड दिया गया, जिसके से-पृथ्वी दिखलाई पड़ने लगती है। फिर कभी वे घिर अनुसार हमें सुबह साढ़े तीन बजे उठना था। इसके बाद
नेहरूजी कितने विनोदप्रिय हैं यह इस चित्र से स्पष्ट .
है। उनकी एक बात ने सबों को हँसा दिया।
हवाई जहाज जिससे नेहरूजी ने यात्रा की । ये सब
चित्र बमरौली एयरोडोम के हैं।
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