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धन की शोभा
लेखक, श्रीयुत आत्माराम देवकर
५ )
केदार किशनचन्द्र बुद्धिमान और दूरदर्शी थे। मुक्तहस्तता भी उनमें पर्याप्त थी। जब देने के लिए हाथ उठाते तत्र किसी प्रकार की कसर न रखते थे । पर उनमें एक बड़ा दुर्गुण यह था कि वे जिस बात की हठ पकड़ लेते उसे पूर्ण करके ही रहते थे। इसी से शील और नम्र होने पर भी लोग उन्हें कठोर समझते थे । मुनीम गुमाश्ते सदा चौकन्ने रहते थे। उनके मुख से निकले हुए शब्द 'ब्रह्म वाक्य' थे। नौकर-चाकर सबसे पहले उनकी मौखिक आज्ञा का पालन करने में सदा सतर्क रहते थे। उनके आसामी उनसे बहुत कम मिलते-जुलते थे। यों तो वे कभी किसी से तक़ाज़ा नहीं करते थे, पर जिसके लिए मुँह से निकल
या कि हिसाव चुकता कर दो उसे तत्काल रुपयों का प्रबन्ध करना पड़ता था। घर के लोग भी उनसे मशंक रहते थे। जिस दिन उन्हें इच्छित वस्तु भोजन के थाल में नहीं दीखती थी, उस दिन सब पर मानो शनिदेव की कुदृष्टि आ जाती थी । उस दिन ठेकेदार साहब की एकादशी हो जाती थी । सृष्टि की रचना ही ऐसी है । जिसमें चार गुण रहते
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श्रीयुत श्रात्माराम देवकर महाराष्ट्र हैं । परन्तु आप का हिन्दी से विशेष प्रेम है । सामाजिक जीवन की छोटी छोटी और सरल कहानियाँ लिखने में आप सिद्धहस्त हैं । इस कहानी में आपने भातृप्रेम का सुन्दर ढङ्ग से चित्रण किया है ।
हैं उसमें उन गुणों को छिपानेवाला कोई न कोई अवगुण भी पाया जाता है । लक्ष्मी के प्रताप से वह भले ही छिपा रहे, पर कसौटी पर घिसने से उसकी झलक स्पष्ट दिख जाती है।
( २ )
देवकी किशनचंद की छोटी बहन थी। वह उसी नगर में व्याही गई थी । उसके पति का नाम चंपालाल था | चंपालाल एक छोटी-सी दुकान करते थे और उसकी आय से अपनी जीविका चलाते थे । चार-पाँच वर्ष तक उन्हें किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा । किन्तु इसके बाद गृहस्थी का खर्च बढ़ जाने से उनकी दशा चिन्तनीय हो उठी। एक दिन उनसे स्त्री ने कहा- "इस थोड़ीसी आय से कितने दिन काम चलेगा ? आप दूकान के बढ़ाने की चेष्टा क्यों नहीं करते ?"
चंपालाल ने कहा - " द्रव्य के बिना कुछ नहीं हो सकता। मैं उसे अब तक अपने बुद्धि बल और अनुभव के सहारे चलाता रहा हूँ । पर उथले कुएँ की पेंदी कब तक ढँकी रह सकती है ?"
उत्तर सुनकर देवकी का मुख निष्प्रभ हो गया । उसने रुक कर कहा--"तब भैया से क्यों नहीं कहते ? वे क्या आपकी सहायता नहीं करेंगे ?"
चंपालाल ने तीत्र दृष्टि से देवकी की ओर देखकर कहा - "ऐसी बात फिर मुँह से न निकालना ।"
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