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सरस्वती
[भाग ३६
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लिया था और यदि यक्ष्मा का उन पर यह घातक आक्र. था और पहले दिन की कार्यवाही में बीमारी की अवस्था मण न होता तो निस्सन्देह हिन्दी-कविता की श्री-वृद्धि में में भी सम्मेलन के मंडप में आप पधारे थे । साहित्यिक उनका बहुत कुछ हाथ होता । पिछले दो वर्षो से ज्यों और सामाजिक कार्यों में आप बरावर अार्थिक सहायता ज्यों उनकी ख्याति बढ़ी त्यों त्यों उनका स्वास्थ्य भी गिरता देते और उनमें दिलचस्पी लेते रहते थे। ईश्वर गया और अन्त में हमें हिन्दी की इस श्रेष्ठ कवियित्री के श्रापको सद्गति और आपके कुटुम्बियों को धैर्य प्रदान करे, निधन का असामयिक समाचार सुनना पड़ा। स्वर्गीय यही हमारी कामना है। - चकोरी जी के पति श्रीयुत अरुण जी जो कि स्वयं एक मरा हुआ बाप बेटी का ब्याह देखने आया साहित्यिक हैं के प्रति इस अवसर पर हम अपनी हार्दिक बहुतों का यह खयाल है कि मृत्यु के बाद भी समवेदना प्रकट करते हैं।
मनुष्य इस संसार से सम्बन्ध रखता है। बहुत-से लोग । डाक्टर साजूप्रसाद तिवारी का स्वर्गवाल मृतात्मा को बुलाते और उससे बातें करते सुने गये हैं।
हमें दुःख के साथ लिखना पड़ता है कि डाक्टर सरजू- हाल में एक बहुत ही आश्चर्य जनक घटना हुई है उसका प्रसाद तिवारी का इन्दौर में स्वर्गवास हो गया । डाक्टर यहाँ उल्लेख करते हैं । पटना के प्रतिष्ठित व्यक्ति रायबहादुर साहब इन्दौर ही में नहीं, इन्दौर के बाहर भी बहुत श्री विनोदबिहारी मजूमदार, एम० ए०, बी० एल०, लोकप्रिय थे और उनकी माहित्यिक और मार्वजनिक की यह आँखों देखी घटना है जो इस प्रकार हैसेवायें भुलाई नहीं जा सकेंगी। 'मध्यभारत हिन्दी- रायबहादुर का लड़का सन् १९२४ में स्वर्गवासी हुआ साहित्य-समिति' जिसका प्रधान कार्यालय इन्दौर में था। वह अपने पीछे एक लड़की छोड़ गया था। गत मार्च
में उस लड़की का विवाह था । विवाह के समय रायबहादुर ने ही नहीं, वहाँ जो लोग भी उपस्थित थे सबों ने उस म्वर्गीय लड़के को अपनी लड़की के पास बैठे हुए देखा और पहचाना। उसके साथ ६ व्यक्ति और थे, जिन्हें कोई नहीं पहचान सका । शायद वे उसके दूसरे लोक के साथी थे। इतना ही नहीं, इस मृत पुत्र ने अपनी मा (रायबहादुर की। स्त्री) को जो मंडप की दूसरी ओर बैठी थीं, पुकारा भी। __इस घटना का वर्णन रायबहादुर ने इस ढंग से और इतने करुणोत्पादक शब्दों में किया कि सभा में जो लोग उपस्थित थे सबों की अाँखों में आँसू आ गये।
रायबहादुर एक ज़िम्मेदार व्यक्ति हैं, और उनका
अविश्वास नहीं किया जा सकता । किसी अवसर पर हो [ स्वर्गीय डाक्टर सरजप्रसाद तिवारी]
सकता है कि पुत्रवियोग से पीड़ित उनकी आत्मा ऐसा स्वप्न
देख सकती है, उनकी स्त्री को भी ऐसा अनुभव हो सकता है-बहुत कुछ अापके ही प्रयत्न का फल है। पिछली है। पर विवाह में उपस्थित सभी व्यक्तियों को यह मृत बार ईस्टर के दिनों में इन्दौर में हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन का पुत्र कैसे दिखाई पड़ा और उसकी आवाज़ भी सुनाई पड़ी, वार्षिक अधिवेशन हुअा था तब आप उसके स्वागताध्यक्ष यह एक प्रश्न है, जिस पर मनोवैज्ञानिकों और प्रेतात्मा या थे। उस समय भी आपका स्वास्थ्य चिन्त्य था, तथापि दूसरे लोक में विश्वास न रखनेवाले वैज्ञानिकों के लिए आपने यथाशक्ति स्वागत-समिति के कार्यों में भाग लिया विचार करने के योग्य है।
MARPAN
Printed and published by K. Mittra at The Indian Press, Ltd., Allahabad.
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