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नई पुलके
[प्रतिमास प्राप्त होनेवाली नई पुस्तकों की सूची। परिचय यथासमय प्रकाशित होगा। ]
१-पद्माकर-पंचामृत-सम्पादक, पंडित विश्वनाथ- १२-दोस्त दर्जियाँ (पहला भाग)-लेखक व प्रसाद मिश्र, एम० ए०, प्रकाशक, श्री रामरत्न-पुस्तक-भवन, प्रकाशक, श्री ईश्वरदत्त, दर्जीघर, रंगमहल बाज़ार, लाहौर, काशी, है । सजिल्द पुस्तक का मूल्य ३) है।
हैं । मूल्य १॥) है। २-३–श्री ओंकारनाथ शर्मा द्वारा लिखित, १३–दि स्टोरी आफ् दि नोबुल प्राइज़ विनर्स उद्योग-मन्दिर, गुलाबबाड़ी, अजमेर से (अँगरेज़ी)-लेखक, श्री ए० के० सेन, प्रकाशक, ईस्टर्न प्रकाशित २ पुस्तके
पलिशर्स, इलाहाबाद, हैं और मूल्य २।।) है। (१) यांत्रिक-चित्रकारी मूल्य २॥) है।
१४–पत्र-पुष्प-लेखक, ठाकुर देवीसिंह, चौमूं, (२) वैक्युम-ब्रेक-मूल्य २) है।
प्रकाशक, जयपुर स्टेट प्रेस, जयपुर, हैं। मूल्य नहीं ४-५--श्री अजितप्रसाद जी द्वारा लिखित, अजित लिखा है।
श्राश्रम, लखनऊ से प्रकाशित २ पुस्तकें- १५–राष्ट्रालोक- प्रकाशक, पंडित हरिभुज शास्त्री, (१) देवेन्द्रचरित–सजिल्द पुस्तक का मूल्य ||=). है । अध्यक्ष मातृभाषाप्रचारक ग्रन्थ-माला विद्यालय, खू (२) अजिताश्रम-पाठावली भाग १- मूल्य।-) है। कौड़ियाँ, अमृतसर, हैं और मूल्य 4) है।
६--सुन्दर-सतसई (कविता)-निर्माता, पंडित १६-सेलेक्ट जेम्म (अँगरेज़ी में)-संग्रहकर्ता व सुन्दरप्रसाद, प्रकाशक, सेठ व्रजलाल जी बागड़ी, कोटा प्रकाशक, ठाकुर देवीसिंह जी, चौमूं , जयपुर हैं । (बीकानेर) हैं । मूल्य 1) है।
७-प्रलाप (कविता)-लेखक, श्री मृत्युंजय जी, १-हिन्दीमुहावराकोप- यह हिन्दी का अपने ढंग प्रकाशक, शारदा-सदन, काशी हैं । मूल्य |-) है। का एक सुन्दर कोष है । इसे दक्षिण-भारत के प्रोफेसर
-चारु चयन-संग्रहकार, श्री हनूमान् शर्मा जम्बुनाथन, एम० ए०, ने लिखा है। आपका हिन्दी के प्रति चौमूं , जयपुर हैं । पुस्तक बिना मूल्य वितरणार्थ है। बड़ा अनुराग है। आपके प्रयत्न से मैसूर-राज्य में हिन्दी
९-भारतीय अनुशीलन-(अोझा-अभिनन्दन का खूब प्रचार हुश्रा है और आज भी हो रहा है। ऐसे ग्रन्थ)--प्रकाशक, हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग है। ही विद्वान हिन्दी-प्रेमी ने इस अनूठे कोष की रचना की मल्य नहीं लिखा है।
है। आपका यह प्रयत्न प्रशंसनीय है और इस क्षेत्र में काम १०-विनय-पिटक-अनुवादक, श्री राहुल सांकृ- करनेवालों को अापकी इस रचना से प्रोत्साहन ही नहीं त्यायन, प्रकाशक, महाबोधि-सभा सारनाथ, बनारस हैं। मिलेगा, किन्तु सहायता भी मिलेगी। हिन्दी में अभी तक सजिल्द पुस्तक का मूल्य ६) है।
शब्द-कोष ही निदोष नहीं बन पाये हैं, तब मुहावरा-कोष के ११–सफल जीवन-लेखक, श्री छबिनाथ पांडेय, 'पूर्ण' तथा 'निर्दोष' बनने की कैसे अाशा की जा सकती है ? बी० ए०, एल.एल० बी०, प्रकाशक, विद्यामंदिर, बनारस तथापि इस कोष से एक अभाव की अवश्य पूर्ति हुई है। सिटी, हैं । मूल्य २॥) है।
इसकी रचना में प्रोफेसर साहब ने विशेष परिश्रम किया
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