________________
संख्या ६]
नई पुस्तकें
१०--श्री तुकाराम-चरित्र (जीवनी और उपदेश)- ११---श्री चैतन्यचरितावली (खण्ड-चतुर्थ तथा मूल-लेखक, श्रीयुत लक्ष्मण रामचन्द्र पांगारकर, बी० ए०। पञ्चम)-लेखक, श्रीयुत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, प्रकाशकहिन्दी-अनुवादक-श्रीयुत लक्ष्मण नारायण गर्दै । मूल्य गीता प्रेस, गोरखपुर । मूल्य क्रमशः ॥ और ।) है १०) है । पता-गीता-प्रेस, गोरखपुर ।।
श्रीचैन्यचरितावली के इन दोनों खण्डों के प्रकाशित यह मराठी-पुस्तक का हिन्दी-अनुवाद है। हिन्दी में हो जाने से श्री चैतन्य महाप्रभु का जीवन-चरित पूर्ण हो कबीर तथा तुलसी को छोड़कर संभवतः अन्य किसी संत जाता है। पूर्व प्रकाशित खण्डों की ही भाँति इन दोनों कवि के जीवन के विषय में इतनी छान-बीन, विस्तार खण्डों को भी लेखक ने अपनी प्रोजस्विनी, भक्तिपूर्ण तथा परिश्रम से लिखा हा ग्रन्थ हमने नहीं देखा। मध्य तथा सरल शैली में ही लिखा है। चतुर्थ खण्ड में रंगीन युग के हिन्दी के सन्त कवियों के विषय में कवीन्द्र-रवीन्द्र तथा सादे चित्रों की संख्या चौदह तथा पंचम खण्ड में के विश्वविद्यालय में वंगभाषा-भाषी विद्वान गवेषणा करें, दस है। इसके पढ़ने से महाप्रभु का जीवन आँखों के उनकी वाणियों का संग्रह करने के लिए वे सुदूर स्थानों सामने नाचने लगता है और हृदय में आध्यात्मिक बल की यात्रा करें तथा उनकी अमर वाणी पढ़कर विदेशी तथा भक्ति का उदय होता है। पंचम खण्ड के अन्त में लोग तक मुग्ध हों, परन्तु जिनकी भाषा में उन्होंने अमूल्य लेखक ने इन पुस्तकों की रचना के लिए प्रयुक्त ग्रन्थों की अनुभूतियों का अमृत भरा है वे पैर पसारे निश्चेष्ट सोया तथा चैतन्य-चरित-सम्बन्धी विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध करें। इससे बढ़ कर लजा का विषय क्या हो सकता पुस्तकों की एक सूची भी दे दी है। अध्ययनशील है ? इस पुस्तक में मूल-लेखक ने जिस परिश्रम तथा जिज्ञासु महोदय जो महाप्रभु के चरित के विषय में अधिक विस्तार से महाराष्ट्रदेशीय भक्त सन्त तुकाराम की जीवनी जानकारी प्राप्त करना चाहें, इससे लाभ उठा सकते तथा उपदेशों को संकलित किया है उसे देखकर हमें बड़ा हैं। आध्यात्मिक पथ के पथिकों तथा भक्तों के लिए ही अानन्द हुअा। कर्म, उपासना तथा जानकाण्ड नामक पुस्तक परम उपयोगी है। तीन मुख्य खण्डों में यह ६६६ पृष्ठों का ग्रन्थ लिखा गया १२–एशिया की महिला-क्रान्ति-लेखक, श्री है। साधना के पथ पर चलने की इच्छावाले भक्तों के जगदीशप्रसाद माथुर 'दीपक', प्रकाशक, हिन्दी-सहित्यलिए तथा जनता में आध्यात्मिक भावों की पवित्र जागृति मण्डल, बाज़ार सीताराम, देहली हैं। मूल्य १) है । के लिए ऐसे सन्त कवियों की आत्मानुभूतियाँ, उनकी दीपक जी ने अपनी इस पुस्तक में एशिया-महाद्वीप के चमत्कार-पूर्ण जीवन-घटनायें तथा साधारण अवस्था से रूस, चीन, जापान, बर्मा, फ़ारस और भारत-देश की स्त्रियों आध्यात्मिक चरम विकास के लिए उनके द्वारा अवलम्बित की तथा अन्य देश नामक अध्याय में तुर्की की महिलाओं की उपाय वास्तव में श्रद्धा, उत्साह और आत्मिक बल प्रदान जागृति पर प्रकाश डाला है। इन देशों में महिला-क्रान्ति करते हैं।
से पूर्व स्त्रियों की दुर्दशा, उनका क्रय-विक्रय तथा अधिकारपुस्तक के अनुवादक हैं हिन्दी के प्रौढ़ लेखक श्रीयुत हीन तथा मूक बन्दी-सा उनका जीवन अङ्कित करके लेखक लक्ष्मण नारायण गर्दै जी। इसलिए अनुवाद की सुन्दरता ने क्रान्ति के पश्चात् उन देशों की महिलाओं के कार्य, त्याग, के विषय में विशेष कहने की आवश्यकता नहीं। इस योग्यता तथा उनके द्वारा किये गये सुधारों का दिग्दर्शन ६६६ पृष्ठों ऐसे बड़े प्राकार के उपयोगी ग्रन्थ को एक रुपये कराया है। इस पुस्तक के पढ़ने से हिन्दी-भाषा-भाषियों तीन आने के नाम-मात्र मूल्य पर देने के लिए गीता- को बहुत-सी नई बातें मालूम होंगी और उनका दृष्टिकोण प्रेस भी प्रशंसा का पात्र है। ऐसे सुन्दर तथा सुलभ विस्तृत होगा। भारतीय महिलायें इसे पढ़कर अन्य देशों ग्रन्थ का हिन्दी-प्रेमियों को संग्रह तथा स्वाध्याय करना की महिलाओं से त्याग, आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता चाहिए।
की शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं। लेखनशैली सुन्दर तथा
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com