Book Title: Saraswati 1935 07
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 603
________________ संख्या ६] नई पुस्तकें आनेवाली संस्कृत सूक्तियों का तथा श्लोकों का इसमें संग्रह वितरित । प्रकाशक-श्री कन्हैयालाल दीक्षित, खलासी किया गया है। यह ग्रन्थ जैन उपदेश को तथा प्रचारकों लैन, कानपुर हैं। के बड़े काम का है। अन्य संस्कृतज्ञ विद्वान् भी इससे लेखक ने अपने पूज्य पिता की पुण्यस्मृति में "श्री लाभ उठा सकते हैं । पद्यों का हिन्दी-अनुवाद जानबूझ मिश्रीलाल दीक्षित ग्रन्थमाला" का प्रकाशन प्रारम्भ किया कर ग्रन्थकार ने नहीं दिया है। परन्तु हमारी सम्मति में है। उक्त ग्रन्थ-माला का यह प्रथम पुष्प है । इस छोटीयदि हिन्दी-अनुवाद भी दे दिया जाता तो संस्कृत न सी पुस्तक में कृष्ण विषयक स्तुति-श्लोकों का संग्रह किया जाननेवाले भी इस संग्रह से लाभ उठा सकते और ग्रन्थ गया है । श्लोक चुने हुए हैं । श्लोकों के नीचे सरल तथा के प्रचार का क्षेत्र भी बढ़ जाता। पुस्तक में शुद्धि-अशुद्धि शुद्ध हिन्दी में उनका अनुवाद दिया गया है। कृष्णकी सूची भी लगा दी गई है। छपाई साधारण है। भक्तों के काम की है। १७-संध्या-पाठ (कबीर-पंथी पुस्तक)--टीकाकार, २०–आर्कीयोलोजी इन ग्वालियर-(अँगरेज़ी)पं० भू० १०८ महन्त श्री विचारदास जी बीजक टीकाकार, लेखक, श्रीयुत एम० बी० गर्दे, बी० ए०, सुपरिटेंडेंट अाफ़ पृष्ठ-संख्या ८० और मूल्य ) है। पता- कबीर साहेब अार्कीयोलोजी, ग्वालियर स्टेट। मूल्य १।।) है । का मन्दिर, सीयाबाग़, बड़ौदा (गुजरात)। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने ग्वालियर रियासत की ___संतप्रवर कबीरदास की वाणी में 'संध्या पाठ' का पुरातत्त्व-सम्बन्धी खोजों तथा वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक . एक विशेष स्थान है। इस पुस्तक में मंगलाचरण, गौड़ी स्थानों का संक्षिप्त परिचय दिया है । ग्वालियर-राज्य में आरती, ज्ञानस्तोत्र, विज्ञानस्तोत्र, दयासागर, चेतावनी उजयिनी, विदिशा, पद्मावती, दशपुर, कुन्तलपुर आदि आदि का समावेश क्रम से किया गया है। संध्या-पाठ पर प्रसिद्ध प्राचीन नगर हैं और ये ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वमहन्त जी ने 'सरला' नामक टीका में मूल-पदों की सरल पूर्ण हैं। इस पुस्तक में इन सभी स्थानों की पुरातत्त्वतथा विशद व्याख्या की है । टीका में यथास्थान योग- सम्बन्धी बातों का विवरण दिया गया है । सम्बन्धी अनेक ज्ञातव्य बातों पर प्रकाश डाला गया है। स्वर्गीय ग्वालियर-नरेश ने अपने यहाँ पुरातत्त्व-विभाग प्रारम्भ में संध्या के महत्त्व पर शास्त्रीय प्रमाणों-सहित को खोलकर तथा श्रीयुत गर्दै जी जैसे पुरातत्त्व के विशेषज्ञ एक छोटी-सी भूमिका लिखी गई है । पुस्तक कबीर- को उसका प्रबन्ध सौंपकर वास्तव में एक उपयोगी कार्य पन्थियों के काम की है और उन्हें इससे लाभ उठाना किया है । इसके द्वारा कितनी ही अमूल्य ऐतिहासिक चाहिए। सामग्रियों की रक्षा की व्यवस्था हुई है जैसा कि इस १८ --गोपी-प्रेम - लेखक, श्रीयुत हनुमानप्रसाद पुस्तक से ज्ञात होता है। ग्वालियर के पुरातत्त्व-विभाग ने पोद्दार, पृष्ठ-संख्या ५६, मूल्य –|| है। पता -गीता-प्रेस, अपने यहाँ एक संग्रहालय भी स्थापित किया है, जो गोरखपुर । भगवान् कृष्ण और गोपियों का प्रेम भगवद्- इतिहास के विद्यार्थियों के लिए बड़े काम का है। भक्तों के साधन और सिद्धि का चरम अादर्श है। प्रस्तुत इस पुस्तक में ग्वालियर के प्रसिद्ध स्थानों के ३४ चित्र तथा पुस्तक में उसी पवित्र प्रेम की व्याख्या की गई है। गोपी- ग्वालियर का मानचित्र भी दिया गया है । छपाई, गेट-अप प्रेम क्या है और विश्वत्यागी विरक्त और भक्त महात्मात्रों में श्रादि उत्तम है। उसका क्यों इतना आदर है, यह बात इस पुस्तक के २१-माइन्ड इट्स मिस्ट्रीज एण्ड कन्ट्रोलपढ़ने से बहुत कुछ समझी जा सकती है। पुस्तक उपादेय (अँगरेज़ी)-लेखक, श्रीयुत स्वामी शिवानन्द सरस्वती, और मनन करने योग्य है। प्रकाशक, गीता-प्रेस, गोरखपुर हैं। १९-कृष्णकीर्तन-संग्रहकार तथा अनुवादक मन के विषय में अनेक आध्यात्मिक ग्रन्थों में मिलने'दीक्षित-बन्धु' हैं। पृष्ठ-संख्या १६ है। बिना मूल्य वाली सामग्री का इस पुस्तक में संग्रह-सा कर दिया गया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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