Book Title: Saraswati 1935 07
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 593
________________ संख्या ६] योरप जैसा कि मैंने उसे देखा ५४१ पाम्पियाई–(एम्फीथियेटर)]] पकड़ी। गाड़ी बहुत भरी थी, परन्तु हमें आराम के कुछ स्थानों का दृश्य तो अत्यन्त आश्चर्यजनक साथ बैठने के लिए जगह मिल गई। इटाली से था। पर्वतों की ढालों पर अङ्गर-उद्यानों, छोटी-छोटी होकर जानेवाले यात्रियों को रेलवे वास्तविक नदियों और सुन्दर गृहों का दृश्य हमारे लिए सर्वथा किराये में ६० प्रतिशत की रियायत करती है। दिन नवीन था। जिन स्टेशनों से हम गुज़रे वे बड़े नहीं कुछ कुछ गर्म हो चला था, इसलिए इस यात्रा में थे, परन्तु पानी, सोडा और आइस-क्रीम सर्वत्र सुलभ हमें पेय पदार्थों का यथेष्ट सेवन करना पड़ा। था। ब्रिडिसी में हमने टामस कुक से नेपल्स में टामस कुक का आदमी हमारे लिए बड़े काम का एक होटल की व्यवस्था करने के लिए कहा था। निकला, परन्तु अपनी सेवाओं का उसने हमसे बहुत नेपल्स में हम रात में पहुँचे । गाड़ी से उतरते ही अधिक मूल्य लिया । औसत दर्जे के मुसाफिरी हमें टामस कुक का आदमी मिला। उसने तुरन्त असबाब को रेल के डिब्बों तक लिवा जाने का हमें हमारे असबाब के लिए प्रबन्ध किया और नेपल्स ८ आने देने पड़े। हमें ज्ञात हुआ कि गत चार की खाड़ी पर के ठीक ऊपर अधिष्ठित एक अच्छे वर्षों में दक्षिणी इटली की उल्लेखनीय उन्नति हुई होटल में ले गया। वह रात विशेष रूप से तारों से है। गेहूँ और चावल की हमने अत्यधिक कृषि पूर्ण थी और बहुसंख्यक बिजली की बत्तियों के देखी। इटली अपनी शराब के लिए प्रसिद्ध है और प्रकाश में हमने खाड़ी की एक झलक देखी। हमने पहाड़ों की ढाल पर अङ्गर के बड़े बड़े बाग़ देखे। हमारे पाठकों को यह भली भाँति मालूम होगा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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