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सरस्वती
[भाग ३६
वह कम्प किसी किसी पदार्थ में दिखलाई भी देता है, तीव्रता में कमी नहीं होती है। बाज़ बाज़ कान घड़ी जैसे खिंची हुई तन्त्री। वह कम्प केवल धुंधली बाह्य के टिक टिक करने से व्याकुल हो जाते हैं, पर बन्दूक रेखा से मालूम होगा। वायवी साधन से सब जगह या तोप की आवाज़ का उन पर कोई बुरा प्रभाव शब्द पहुँचता है। उदाहरण में टेलीफ़ोन का खिंचा नहीं पड़ता है। इससे यह सिद्ध होता है कि प्रकृति हुआ तार बतलाया गया है। यह भी लिखा है कि कई का एक यह नियम है कि शब्द की तीव्रता बढ़ते ही बधिर पुरुषों को सिर की हड्डियों-द्वारा शब्द सुनवाया कान की चेतनता घट जाती है। यह भी कुछ कान गया है । तरकीब यह की गई थी कि एक सख्त को प्रकृति ने शक्ति दी है कि एक ही तरह के शब्दों डंडा उनको दाँतों के नीचे दबाने को दिया गया की भिन्नता को वह पहचान ले । वास्तव में बहुत जिसका एक सिरा उस पदार्थ से लगा हुआ था (जैसे कम शब्द हैं जो 'शुद्ध' कहे जा सकते हैं, यानी जिनमें घड़ी या पियानो बाजा) जो ध्वनित हो रहा था। स्वर की अधिकता न हो। स्वर की अधिकता की यह भी खोज करनेवालों ने पता लगाया है कि शब्द उपस्थिति या अनुपस्थिति शब्द के गुण का सूचक का वेग कितना होता है। उन्होंने बतलाया है कि होती है, और इससे यह सिद्ध होता है कि शब्द का बिजली की कड़क चमक के थोड़ी देर बाद सुनाई गुण बहुत कुछ वायु की तरङ्ग के आकार पर देती है। उसी तरह बन्दूक़ से पहले एक ज्वाला निर्भर होता है जो हमारे कान तक पहुँचती है। निकलती दिखलाई देगी तब शब्द सुनाई देगा। इससे खोज से यह भी पता चला है कि उस तरङ्ग का यह सिद्ध होता है कि शब्द को भी यात्रा करने में आकार कैसा होता है और अमुक पदार्थ से उत्पन्न कुछ देर लगती है । शब्द से प्रकाश अधिक शीघ्रगामी हुए शब्द में कौन कौन सस्वरता उपस्थित है और है। इसकी गति १,८६,००० मील प्रति सेकंड उनका एक-दूसरे के प्रति क्या सम्बन्ध है। है। वायु में शब्द की यात्रा का वेग केवल पाँच जो कुछ आज-कल के विज्ञान-विशारदों ने इस सेकंड प्रति मील है। पानी में लगभग एक सेकंड ओर खोज करके लिखा है यदि उसका शतांश भी के और लोहे या फौलाद में एक सेकंड के तिहरे लिखा जाय तो एक छोटी-मोटी पुस्तक लिख जायगी के । वायु से पन्द्रह गुणा अधिक वेग शब्द की यात्रा और यह लेख अपनी सीमा को उल्लंघन करके एक का लोहे में होता है। उन लोगों ने बतलाया है कि नया रूप धारण कर लेगा। पुराने ज़माने में हमारे बिना तीन चीजों के न तो शब्द उत्पन्न हो सकता देश में जो खोजें की गई थीं उनका तो पता नहीं है, है, न वह दूर तक यात्रा कर सकता है और न उसका लेकिन जिनका पता है और जिनके कुछ अंश ऊपर ज्ञान ही हो सकता है-(१) शब्द उत्पन्न करनेवाले उद्धृत किये गये हैं उनसे पता चलता है कि आधुनिक पदार्थ में कम्प हो, (२) उस पदार्थ से कोई साधन जुड़ा और प्राचीन समय के खोज करनेवालों का हो, (३) और दूसरी ओर कम्पों को स्वीकार करने- विचार-प्रवाह एक ही ढङ्ग का है।। वाला कोई यन्त्र हो जो कम्पों की गति बता सके। अँगरेज़ी-लेखकों ने शब्द की व्याख्या करके श्रुति तब उनका अनुभव किया जा सकता है। यह भी की व्याख्या की है। वे कहते हैं कि जो वायु हमारे खोज से पता लगाया गया है कि शब्दों में भिन्नता चारों तरफ रहती है वह कम्पों-द्वारा बराबर होती है। शब्द की उच्चता चेतनता के अंश का आकुलित हुआ करती है जो लहरों के आकार में हम अनुरूपक है, और इन दो बातों पर निर्भर है कि तक पहुँचती है। अँगरेजी में 'श्रुति-शब्द इस अर्थ वह कितना तीव्र है या कान में कितनी चेतनता है। का सूचक समझा जाता है कि किस प्रकार शब्द के किसी किसी शब्द की उच्चता दुर्बल होने पर भी कम्प ज्ञानेन्द्रियों पर प्रभाव डालते हैं और कैसे
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