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सरस्वती
[भाग ३६
दो घंटे प्रतीक्षा में बिताने पड़े। अधिकारी इस दुर्घटना के लिए बड़ा खेद प्रकट कर रहे थे। यदि रेल की चाल ३० घंटा प्रतिमील के हिसाब से होती तो इसका अन्त भयानक होता। दो घंटे के पश्चात् हम सईद बन्दर के स्टेशन पर किसी प्रकार पहुँचे।
बन्दरगाह में तेज़ प्रकाश हो रहा था और समुद्री हिस्से में ऐसा जान पड़ता था मानो दिवाली हो रही हो। बन्दरगाह में १५ से अधिक जहाज थे और उन सबमें तेज रोशनी हो रही थी। हममें । से कुछ लोग बन्दरगाह देखना चाहते थे। इसलिए । माँझी से कहा कि वह हमें एक घंटे बाद जहाज़ पर । ले जाने के लिए आवे। हम बाजार में टहलते हुए । गये और याददाश्त के लिए कुछ चीजें खरीदी कुछ मुहल्ले बहुत गन्दे थे और वेश्या-गृहों से भरे हुए थे। मार्ग-दर्शक ने समय पर हमें उधर न जाने के लिए। सावधान कर दिया था।
मिस्र में शिक्षा का औसत प्रचार बहुत कम है | और यद्यपि वहाँ अब बहुत-से आधुनिक स्कूल खुल | गये हैं तथापि जन-साधारण में शिक्षा का प्राबल्य |
होने में अभी पीढ़ियाँ लग जायेंगी। तो भी जन[ मिस्री स्त्रियाँ (कैरो)]
साधारण में शिक्षा के प्रचार की समस्या वहाँ इतनी |
दारुण नहीं है जितनी कि हमारे देश में है। उपनहीं आई थी इसलिए वह उलटने से बच गई। यह जाऊ हिस्से के लोगों की आय का औसत हमारे | दुर्घटना इञ्जीनियरिङ्ग विभाग की समुचित निग- देश के किसानों की आय के औसत से अधिक है। रानी न होने के कारण हुई थी। इस व्यवस्था- और उनका स्वास्थ्य भी अधिक अच्छा है। पद्धति को कोसते हुए इस स्टेशन पर हमें लगभग
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